
बता दें कि मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनने से पहले भाजपा के नेताओं सहित सीएम कैंडिडेट उमा भारती और यहां तक कि तत्कालीन सांसद SHIVRAJ SINGH CHOUHAN जो अब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, ने लिखित में वादा किया था कि अध्यापकों को शिक्षकों के समान वेतन दिया जाएगा और शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाएगा परंतु सरकार बनने के बाद उसकी मांगों को किस्तों में बांट दिया गया। नाराज अध्यापक पिछले 14 साल से वादा पूरा करने की मांग कर रहे हैं। इसी के चलते पिछले दिनों निराश महिला अध्यापकों ने भोपाल में मुंडन कराकर विरोध दर्ज कराया।
कोलारस और मुंगावली में सीएम शिवराज सिंह से मुकाबला कर रहे सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया है। उन्होंने कई ट्वीट किए। एक ट्वीट में लिखा है कि: यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः शास्त्रो में लिखा है जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का राज है जहां महिला शिक्षकों अपनी मांग के विरोध को लेकर मुंडन कराने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
सिंधिया ने इसे नारी का अपमान बताया है। इधर अध्यापक भी गुस्साए हैं और उपचुनाव में सबक सिखाने का ऐलान कर रहे हैं। कांग्रेसी रणनीतिकार महिला अध्यापकों के मुंडन के पोस्टर्स बनवाकर दोनों विधानसभाओं में चिपकाने की तैयारी कर रहे हैं। इस तरह वो आम जनता के बीच संदेश देंगे कि मप्र की शिवराज सिंह सरकार में महिलाओं का किस तरह से तिरस्कार किया जा रहा है।