
मामला छतरपुर जिले के राजनगर तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत सूरजपुरा स्थित सरकारी स्कूल का है। जहां पर स्कूल खुले में लगता ही है, साथ ही पेयजल की भी कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में प्यास बुझाने बच्चे मजबूरन नाली का पानी पीते हैं। यहां आठवीं तक स्कूल हैं, स्कूल भवन भी बना हुआ है लेकिन भवन की सुपुर्दगी नहीं हो पाने से मासूम खुले में बैठते हैं। आदिवासी बाहुल्य इस गांव के बच्चों में पढ़ने की ललक तो है लेकिन सुविधाएं नहीं। यहां तक कि पेयजल के इंतजाम तक नहीं हैं। ये बच्चे इतने मजबूर हैं कि मिड-डे-मील के बाद इसी नाली में बर्तन धोते हैं हैं और इसी का पानी भी पीना पड़ता है।
नहीं हुई है भवन की सुपुर्दगी
जिला सहायक शिक्षा अधिकारी एचएस त्रिपाठी से बात की गई तो उन्होंने कहा अभी बच्चों के पढ़ने के लिए स्कूल भवन की सुपुर्दगी नहीं हुई है, हालांकि स्कूल भवन तो बना हुआ है। नाले में पानी के बारे में कुछ भी नहीं बोला।