नई दिल्ली। भारत में राज तो जनता का है परंतु ताकत नौकरशाही के हाथ में है। यह मामला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। चारा घोटाले में लालू यादव को सजा सुनाकर न्याय करने वाले जज शिवपाल सिंह खुद नौकरशाही की लापरवाही का शिकार हैं। उनकी निजी स्वामित्व की जमीन का एक मामला 2006 से लटका हुआ है। अब तक उन्हे न्याय नहीं मिला। जज महोदय और उनके परिजन न्याय के लिये जालौन में अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं।
बता दें कि रांची सीबीआई के जज शिवपाल सिंह मूल रूप से जनपद जालौन के गांव शेखपुर खुर्द के निवासी हैं। अपनी पैतृक जमीन के बीचों-बीच चक रोड निकल जाने से वे परेशान हैं। इस मामले में वे कई बार जालौन के आला अधिकारियों के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन अधिकारी उनकी समस्या पर तनिक भी गौर नहीं कर रहे हैं। जिससे जज और उनका परिवार परेशान है।
मामले को लेकर में जज शिवपाल सिंह के भाई सुरेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि मामला 2006 का है। उनके भाई शिवपाल एवं उनकी जमीन शेखपुर खुर्द में अराजी नंबर 15 और 17 में है. जिसके वह संक्रमणीय भूमिधर है लेकिन उनकी जमीन पर पूर्व प्रधान ने अपने कार्यकाल के दौरान बिना किसी अधिकार के चकरोड मार्ग बनवा दिया। जबकि सरकारी कागजों में चकरोड मार्ग गाटा संख्या 13 है।
मामले को लेकर उनके भाई और जज शिवपाल सिंह खुद भी अधिकारीयों से न्याय की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें अभी तक न्याय नहीं मिला। सुरेन्द्र पाल ने कहा कि दूसरों को न्याय देने वाले उनके भाई को न्याय की दरकार है। हालांकि मामला मीडिया में आने के बाद जालौन उप जिलाधिकारी भैरपाल सिंह ने कहा कि मामला अभी उनके संज्ञान में आया है। इसकी जांच कराकर उचित कारवाई की जाएगी।