नई दिल्ली। अयोध्या में कारसेवा के दौरान मारे गए कारसेवकों को शहीद का दर्जा और जेल में रहे कारसेवकों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के समकक्ष दर्जा व सुविधाएं देने की मांग भारत के 50 महामंडलेश्वरों ने की हैं। हिंदू संतों का वैचारिक महाकुंभ में यह प्रस्ताव पारित किया गया एवं कहा गया कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की जिम्मेदारी है कि वो इसे सुनिश्चित करें। बता दें कि मप्र की शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा आपातकाल के दौरान जेलों में बंद हुए आरएसएस एवं भाजपा के नेताओं को लोकतंत्र सेनानी का दर्जा देकर 25000 रुपए प्रतिमाह पेंशन की जा रही है।
अयोध्या में जल्द ही राममंदिर निर्माण की मांग करते हुए कई हिंदू संतों ने मंगलवार को कहा कि सरकार को उन सभी को स्वतंत्रता सेनानियों के बराबर मानना चाहिए जिन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान अपने जीवन का बलिदान किया या उस समय जेल में रहे थे। भायंदर में आयोजित हिंदू धार्मिक संतों की एक सभा में पारित एक प्रस्ताव में कहा गया, ‘यह नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे उन लोगों को रामसेवकों का दर्जा दें और उनसे स्वतंत्रता सेनानी जैसा व्यवहार करें जिन्होंने रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान अपने जीवन का बलिदान किया या जेल में रहे।’
यह प्रस्ताव पूरे देश के 50 महामंडलेश्वरों के चार दिवसीय सम्मेलन 'वैचारिक महाकुंभ' में पारित किया गया जिसका आयोजन मुम्बई के पास भायंदर में बीते 29 दिसंबर से एक जनवरी तक किया गया। इस दौरान गाय को राष्ट्रीय पशु और गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की भी मांग की गई।