
माना जा रहा है कि जांच में कई अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आ सकती है। दरअसल, यह भुगतान 'घोस्ट एंप्लॉयी' के नाम से हो रहा था। इन्हें सैलरी के साथ ट्रैवल अलाउंस, नाइट ड्यूटी और अन्य सभी तरह के अलाउंस का भुगतान किया जा रहा था। यह भुगतान दोषी कर्मचारी की जेब में जा रहा था। इस मामले से अकाउंट विभाग पर भी सवाल उठे हैं कि वह कैसे बिना किसी जांच के भुगतान करता रहा। इस पूरे मामले की प्राथमिक जांच के लिए कमिटी का गठन किया गया है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि एक से ज्यादा घोस्ट कर्मचारी भी हो सकते हैं।
अधिकारियों के अनुसार यह पूरी गड़बड़ी सॉफ्टवेयर की मदद से सामने आई है। डीआरएम आर एन सिंह ने सैलरी के भुगतान के लिए हो रहे सॉफ्टवेयर की चेकिंग की। चेकिंग में 50 ऐसे कर्मचारियों की लिस्ट सामने आई जिन्हें अलाउंस के रूप में सबसे ज्यादा भुगतान किया गया। इसमें एक कर्मचारी ऐसा भी था जिसे सभी तरह के अलाउंस का भुगतान किया गया। इसी कर्मचारी की वजह से यह पूरा मामला पकड़ में आया।