नई दिल्ली। ताड़ी उच्च पोषण वाला विटामिन युक्त पेय पदार्थ है और इसे शराब नहीं कहा जा सकता। यह बात केरल सरकार ने गुरुवार (25 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट में कही है। भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ दक्षिणी राज्य के ताड़ी श्रमिकों और दुकान मालिकों द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई कर रही है। याचिका में राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के 500 मीटर के भीतर शराब की बिक्री पर देशभर में लगी रोक में छूट की मांग की गई है। अब राज्य सरकार भी इनके समर्थन में आ गई है।
राज्य सरकार ने कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि ताड़ी में उच्च पोषक मूल्य है और चीनी और विटामिनों में भरपूर है और वास्तविक अर्थों में शराब नहीं है। यह एक स्वस्थ पेय है और पारंपरिक केरल के व्यंजन और स्नैक्स के साथ पिया जाता है। ताड़ी रक्त की गुणवत्ता में सुधार और शरीर के सभी अंगों, तंत्रिकाओं और ऊतकों के लिए आवश्यक विटामिन प्रदान करती है। उचित मात्रा में इसके पीने से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है। यह भी कहा गया कि जिस दिन जिस पर शराब की बिक्री पर रोक होती है उन दिनों भी ताड़ी को छूट दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि अगर ताड़ी शराब या शराब की श्रेणी में नहीं आती है तो सरकार क्यों नहीं केरल अबकारी अधिनियम को संशोधित करती। सरकार को इस संबंध में निर्देश लेने के लिए कहा गया है अब कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 16 फरवरी को करेगा।
ताडी श्रमिकों और दुकान के मालिकों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने कहा कि राजमार्गों पर शराब की दुकानों पर प्रतिबंध शराब पीकर ड्राइविंग को रोकने के लिए किया गया था। ताड़ी एक प्राकृतिक पेय है जो नारियल या ताड़ के पेड़ के रस से बनती है और इसमें बहुत थोड़ी मात्रा में नशा होता है और इसे किसी दूसरी प्रकार की शराब से नहीं जोड़ा जा सकता है। परंपरागत रूप से ताड़ी को अन्य प्रकार के शराब से अलग माना जाता है। ताड़ी पर प्रतिबंध से राज्य में हजारों लोगों का पारंपरिक व्यवसाय खत्म हो जाएगा। अब तक सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध से 3,078 ताड़ी निकालने वालों की आजीविका खत्म हो गई है और राज्य में 520 ताड़ी की दुकानों को बंद कर दिया गया है।