नई दिल्ली। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री विजय सांपला ने आज लोकसभा में प्रश्नकाल में कहा कि वर्ष 2017-18 से पहले सभी राज्यों में अंतरजातीय विवाहों को प्रोत्साहित करने के लिए 10 हजार रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक अलग अलग राशि दी जाती थी, लेकिन सरकार ने इसमें एकरूपता लाने के लिए अब सभी राज्यों में इस राशि को ढाई लाख रुपये निर्धारित कर दिया है। उन्होंने कहा कि अंतरजातीय विवाहों में पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति का होने पर सरकार की तरफ से प्रोत्साहन दिया जाता है लेकिन दो अलग-अलग धर्मों के लोगों के विवाह पर प्रोत्साहन राशि देने की कोई योजना केंद्र सरकार के पास नहीं है।
सांपला ने आज लोकसभा में प्रश्नकाल में कहा कि सामाजिक समरसता को बनाये रखने के लिए तथा जातीय भेदभाव को समाप्त कर समाज में आई विकृतियों को दूर करने के लिए अंतरजातीय विवाहों पर सरकार प्रोत्साहन राशि देती है जिसमें पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखता हो।
उन्होंने गौरव गोगोई के पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘अंतरधार्मिक विवाह को प्रोत्साहन के संबंध में हमारे पास कोई योजना नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘योजना के अनुसार प्रोत्साहन राशि पर होने वाला व्यय केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 50:50 के आधार पर वहन किया जाता है। केंद्रशासित प्रदेशों को शत प्रतिशत सहायता केंद्र देता है।’’
सांपला के अनुसार यदि कोई राज्य या केंद्रशासित प्रदेश ढाई लाख रुपये से अधिक प्रोत्साहन राशि व्यय करना चाहता है तो अतिरिक्त राशि का खर्च राज्य सरकार को उठाना होगा, केंद्र अपनी हिस्सेदारी नहीं बढ़ाएगा। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी कहा कि ढाई लाख रुपये की मौजूदा प्रोत्साहन राशि को बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।