
बेबुनियाद अफवाह को विरोध का आधार बनाकर उस पर पूरा आंदोलन खड़ा कर दिया गया। उनका अजेंडा क्या था, मुझे नहीं पता, मगर नैशनल न्यूज पर रोजाना बोलने का मौका मिलने पर कौन इसे हाथ से जाने देना चाहेगा? अगर आपको चार लोग सुनते हैं, तो आप मुद्दा बनाने से भी बाज नहीं आएंगे। मगर भाई, मैं तो आपकी ही बात कर रहा हूं। आपके गौरव की बात कर रहा हूं। अगर हम महाराष्ट्र में बाजीराव मस्तानी को रोक देते तो यहां का दर्शक उस शौर्यगाथा से हमेशा के लिए वंचित हो जाता। आप इतिहास के ठेकेदार क्यों बन जाते हो?
अगर हम भुलाए गए इतिहास को पॉप्युलर आर्ट फॉर्म में दोहराते हैं तो दिक्कत क्या है? आप ऐतिहासिक फिल्म बनाने से लोगों को हतोत्साहित क्यों करते हो? हर ऐतिहासिक फिल्म पर आप अटैक करेंगे और कहेंगे कि हमने इतिहास को विकृत कर दिया। इतिहास कोई एक किताब नहीं है। इतिहास बदलता रहता है। एक इतिहासकार का अप्रोच अलग होता है, दूसरे का अलग लेकिन एक अफवाह के बल पर आप विरोध शुरू कर देते हो।
हमने एक विडियो भी जारी करके सफाई दी कि ऐसा कुछ नहीं है, मगर आपने वह विडियो भी नहीं देखा। प्रोटेस्ट एक ऐसे मुद्दे के साथ खड़ा किया गया, जिसमें लोग फायदा उठाने लग गए। मुझे सबसे ज्यादा दुख इस बात का है कि जो एक साल की यातना और तकलीफ मैंने झेली, जिनके शौर्य को मैंने महिमामंडित किया, उसी राजस्थान ने फिल्म नहीं देखी।
संजय लीला भंसाली
फिल्म मेकर (पद्मावत)