
मूलत: राजगढ़ निवासी महेन्द्र सिंह राठौर के पिता फॉरेस्ट के रिटायर्ड अधिकारी हैं। राजगढ़ में उनकी खेती की जमीन है। वे यहां अयोध्या नगर के सुरभि विहार परिसर में मकान नंबर 38 में परिवार के साथ रहते हैं। उनकी 12 वर्षीय बेटी दिव्यांशी आनंद नगर स्थित सेंट पॉल स्कूल में सातवीं की छात्रा थी। चार दिन पहले घर में महेंद्र एक सफेद चूहा लेकर आए थे। दिव्यांशी उससे काफी हिल-मिल गई थी। शुक्रवार दोपहर चूहे की मौत हो गई।
कुत्ते की मौत से तनाव में, मन बहलाने चूहा लाए थे
महेंद्र ने पुलिस को बताया कि कुछ दिन पहले उनके पालतू कुत्ते की मौत हो गई थी। उसके बाद से ही वह मानिसक तनाव में थी। उसे उन्होंने बहलाने की काफी कोशिश की थी। वह पालतू जानवरों से बहुत प्यार करती थी। उसका दुख कम करने के लिए ही वे चूहा लेकर आए थे। चार दिन में ही वह उससे काफी घुलमिल गई थी। वह पूरा समय उसका ख्याल रखती थी। स्कूल से लौटने के बाद सबसे पहले अपने पालतू चूहे के बारे में मां से जानकारी लेती थी। घटना से मां वसुंधरा को गहरा आघात लगा है। वे वसुंधरा की याद में बीच-बीच में जोर-जोर से रोने और उसका नाम लेने लगती हैं।
चूहे को दफनाया, श्रद्धांजलि दी और फांसी लगा ली
मृत चूहे को गोद में लेकर दिव्यांशी काफी देर तक घूमती रही। मां ने बेटी को चूहा घर के बाहर फेंकने को कहा। दिव्यांशी ने कहा- नहीं मम्मी मैं उसे गार्डन में दफनाऊंगी। उसे श्रद्धांजलि दूंगी। दोपहर 3 बजे दिव्यांशी ने दुखी मन से चूहे को जमीन में दफना दिया। उसे एक गुलाब का फूल चढ़ाया। थोड़ी देर चूहे की कब्र के पास खड़े रहने के बाद वह उदास मन से घर के अंदर चली गई। उस समय वसुंधरा अपनी बेटी के साथ घर के बाहर बैठी हुई थी और महेंद्र घर पर थे। उन्हें लगा कि दिव्यांशी टीवी देख रही है।