
बता दें कि 2015 में राजस्थान सरकार (RAJASTHAN GOVERNMENT) ने गंगापुर सिटी के इस मामले में दर्ज 17 लोगों पर मुकदमे को वापस ले लिया था। 3 अप्रैल 2002 को ताजिया निकाले जाने के दौरान विवाद होने पर कर्फ्यू लगा था और कर्फ्यू तोड़कर PRAVEEN TOGADIA गंगापुर सिटी पहुंचे थे उस समय कुल 17 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ था लेकिन 2015 में 17 आरोपियों में शामिल रमेश मीणा ने खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताते हुए केस वापस लेने की सिफारिश राजस्थान सरकार से की थी उसके बाद राज्य की बीजेपी सरकार ने इस मुकदमे को वापस ले लिया था।
ऐसे में सवाल उठता है यह मुकदमा वापस हो गया था तो पुलिस को जानकारी क्यों नहीं थी और कोर्ट से कैसे गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया। गंगापुर सिटी के एडिशनल एसपी योगेंद्र फौजदार का कहना है कि हमें पहले जानकारी नहीं थी कि सरकार ने 2015 में केस वापस लेने के आदेश जारी कर दिए हैं। किसी वजह से यह आदेश अदालत तक नहीं पहुंच सके थे अभी से हम वापस मंगा कर कोर्ट में पेश कर रहे हैं। अगली तारीख यानी 20 जनवरी को इस मामले की सुनवाई होगी तो सरकार के तरफ से तोगड़िया पर केस वापस लेने की अर्जी कोर्ट में पेश कर दी जाएगी। गौरतलब है कि कोर्ट ने तोगड़िया को 20 जनवरी को गिरफ्तारी वारंट से शामिल किया है इसी गिरफ्तारी वारंट को लेकर गंगापुर पुलिस अहमदाबाद में तोगड़िया के लिए गई थी।
14 साल तक कुछ नहीं, 2 माह में 3 वारंट
इस मामले में कई चीजें बेहद संदेहास्पद है। 4 अप्रैल 2002 से जो मुकदमा चल रहा था उसमें पहली बार 11 दिसंबर 2017 को वारंट जारी हुआ इसके बाद 16 दिसंबर 2017 को वारंट जारी हुआ और तीसरी बार 5 जनवरी 2018 को वारंट जारी हुआ यानी इस मुकदमे में तेजी दिसंबर के दूसरे सप्ताह में आई। हालांकि, अब मामला बढ़ने के बाद राजस्थान सरकार के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का कहना है कि यह कोर्ट का वारंट था इससे राजस्थान सरकार का कोई लेना देना नहीं है। केस वापस लिया गया था और किसी वजह से कोर्ट में नहीं पहुंचा था तब कोर्ट को बता दिया जाएगा।