नई दिल्ली। 8 राज्यों में आ रहे चुनावों को देखते हुए माना जा रहा था कि कांग्रेस मध्यप्रदेश और राजस्थान समेत कुछ प्रदेशों के अध्यक्षों को बदल सकती है। मध्यप्रदेश में यह चर्चा जोरों पर थी परंतु कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सभी प्रदेशों के कांग्रेस अध्यक्षों और क्षेत्रीय कांग्रेस कमेटी अध्यक्षों के कार्यकाल एवं पद जारी रखने का आदेश देकर इन खबरों पर विराम लगा दिया है। बता दें कि मप्र में अरुण यादव प्रदेश अध्यक्ष हैं एवं माना जा रहा था कि कमलनाथ या ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत किसी अन्य को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसी तरह राजस्थान में सचिन पायलट का नाम चल रहा था।
राहुल गांधी राज्यों के नेतृत्व में फिलहाल कोई बड़ा फेरबदल नहीं करेंगे। इस निर्णय से साफ है कि राहुल अधिकांश सूबों में पुरानी टीम के सहारे ही कांग्रेस की सियासत को आगे बढ़ाएंगे। राज्यों के नेतृत्व में बड़ा बदलाव नहीं करने की यह घोषणा शनिवार को बकायदा पार्टी महासचिव जर्नादन द्विवेदी की ओर से बयान जारी कर की गई।
इसमें कहा गया कि राहुल गांधी ने यह निर्णय लिया है कि सभी प्रदेशों के कांग्रेस अध्यक्षों के साथ क्षेत्रीय और टेरिटोरियल कांग्रेस के अध्यक्ष भी अपने पदों पर तब तक बने रहेंगे, जब तक इस बारे में कोई निर्णय नहीं होता। पार्टी हाईकमान का यह निर्णय विशेष तौर पर उन राज्यों के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों के लिए राहत की खबर है जो लंबे समय से पद पर बने हुए हैं।
राहुल गांधी के अध्यक्ष चुने जाने के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन से लेकर राज्यों में बदलाव होने पर अंदरुनी गहमागहमी चल रही है। इस निर्णय से सूबों के उन पार्टी प्रमुखों को भी राहुल गांधी की टीम में शामिल होने की उम्मीद बढ़ गई है जो सोनिया गांधी की टीम के हिस्सा रहे हैं।
राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी संगठन में अहम फेरबदल की संभावना जतायी जा रही है। मकर संक्राति के बाद राहुल 2019 के लिए संगठन की अपनी चुनावी टीम की रूपरेखा तय करेंगे। कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारण इकाई कार्यसमिति में भी व्यापक बदलाव की चर्चाएं हैं। हालांकि कार्यसमिति का बदलाव कांग्रेस के प्लेनरी अधिवेशन के बाद होने की सरगर्मी है। राहुल गांधी के अध्यक्ष चुने जाने पर अंतिम मुहर लगाने के लिए प्लेनरी सत्र फरवरी में बुलाने पर विचार किया जा रहा है।