भोपाल। माता-पिता की देखभाल में लापरवाही बरतने वाले सरकारी कर्मचारियों के वेतन से एक हिस्सा काटने का फैसला तो सरकार ने कर लिया पर मंत्री-विधायक इसके दायरे से बाहर हैं। इसको लेकर उठ रहे सवालों के मद्देनजर भरण पोषण नियम को लेकर नए सिरे से विचार शुरू हो गया है। इसमें लोक सेवक (मंत्री, सांसद, विधायक) को भी दायरे में लाया जा सकता है। सामाजिक न्याय मंत्री गोपाल भार्गव का कहना है कि इसके लिए संशोधन विधेयक भी लाया जा सकता है। साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भी भेजा जाएगा।
प्रदेश में माता-पिता की देखभाल नहीं करने की शिकायत प्रमाणित होने पर अधिकारियों-कर्मचारियों के वेतन से अधिकतम दस फीसदी हिस्सा काटने का नियम बनाया गया है। सामाजिक न्याय विभाग ने अधिसूचना जारी कर इसे लागू भी कर दिया है। तभी से यह सवाल उठ रहे हैं कि लोक सेवक इस कानून के दायरे में क्यों नहीं है, जबकि इन्हें तो पहले कानून के दायरे में लाकर उदाहरण प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इस बारे में सामाजिक न्याय मंत्री गोपाल भार्गव से जब सवाल-जवाब हुए तो उन्होंने कहा कि लोक सेवक इस दायरे में नहीं आते हैं, लेकिन इस पर विचार जरूर किया जाएगा। आगामी विधानसभा के सत्र में इसके लिए संशोधन विधेयक भी लाया जा सकता है।
वैसे भी माता-पिता की सेवा करना भारतीय समाज में सभी का कर्त्तव्य है। भार्गव के मुताबिक अभी यह प्रावधान रखा गया है कि केंद्र सरकार के ऐसे अधिकारी-कर्मचारी (आईएएस, आईपीएस, आईएफएस अधिकारी सहित अन्य), जिन्हें वेतन राज्य शासन के खजाने से दिया जाता है, वे नियमों के दायरे में आएंगे। राज्य सरकार के प्रदेश में पदस्थ अन्य केंद्रीय कर्मचारियों के लिए भी यही प्रावधान लागू करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजेंगे।