भोपाल। यह ट्रेन में चोरी की एक ऐसी घटना है जिसे सुनकर हर कोई इस परेशान हो उठा। चोरों ने दिल्ली-यशवंतपुर दूरंतो जैसी सुपरफास्ट ट्रेन का एसी कोच चुना। पूरी बोगी से सामान चुराया और भागे नहीं बल्कि जिनका सामान चोरी किया, उन्हे ही वापस फोन भी लगाया। कहा सामान वापस चाहिए तो 7 हजार रुपए पेटीएम करो। जब पैसे ट्रांसफर कर दिए गए तो चोरों ने MOBILE OFF किया और फरार हो गए। पता चला कि मोबाइल भी चोरी का है। PAYTM वाले चोरों की अकाउंट डीटेल्स नहीं दे रहे हैं। एक तरह से चोरों की मदद कर रहे हैं।
ये वारदात ग्रीन वैली, लालघाटी में रहने वाले 27 वर्षीय फरहान खान के साथ मंगलवार सुबह हुई। फरहान निजी काम से दिल्ली गए थे। सोमवार रात करीब 11 बजे वे दिल्ली-यशवंतपुर दूरंतो की बी-1 कोच की बर्थ नंबर 45 पर सवार हुए। करीब 7 घंटे देरी से चलने के कारण मंगलवार सुबह 7 बजे ट्रेन आगरा स्टेशन पर पहुंच सकी। फरहान के मुताबिक स्टेशन का नाम पढ़ने के बाद वे दोबारा सो गए।
कुछ देर बाद नींद खुली तो देखा सीट पर रखा बैग गायब था। इसमें कंपनी का लैपटॉप, पर्स, एटीएम कार्ड, महंगा चश्मा, हार्ड डिस्क समेत अन्य दस्तावेज रखे थे। उन्होंने टीटीई से संपर्क कर शिकायत दर्ज करवाई। टीटीई ने ट्रेन में कोई पुलिस स्टाफ होने का हवाला देकर हबीबगंज जीआरपी में शिकायत दर्ज कराने की सलाह दे दी।
चोरी गए सामान लौटाने के बदले 7 हजार मांगे
वारदात के कुछ देर बाद यानी करीब 11 बजे फरहान के मोबाइल फोन पर एक कॉल आया। कॉलर ने चोरी गए सामान की जानकारी फरहान को दी। इसे लौटाने की एवज में उसने सात हजार रुपए मांगने शुरू किए। ये बात फरहान ने अपने रिटायर्ड कर्नल पिता इरफान खान को बताई। कर्नल खान ने उक्त नंबर पर कॉल किया तो आरोपी ने कहा मैं झांसी स्टेशन के पास हूं। सामान चाहिए तो सात हजार रुपए पेटीएम करो। कर्नल खान ने कहा कि मैं तुम्हें दस हजार रुपए दूंगा, बेटे का लैपटॉप लौटा दो।
डेढ़ मिनट में रकम ट्रांसफर
कर्नल खान के मुताबिक उन्होंने बैंक पहुंचकर भोपाल से आरोपी के बताए नंबर पर पेटीएम के जरिए रकम भेज दी। इसे उसने डेढ़ मिनट में ही अपने खाते में ट्रांसफर करवा लिया। उसने जिस मोबाइल नंबर से कॉल किया था, उसे भी उसने दुरंतो की दूसरी बोगी से चुराया था। ये मोबाइल फोन बी सिंह का था। रकम अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवाने के बाद आरोपी सामान लौटाने की बात से मुकर गया और मोबाइल नंबर स्विच ऑफ कर दिया। कर्नल खान का आरोप है कि पेटीएम के कॉल सेंटर से भी आरोपी के अकाउंट की जानकारी नहीं दी गई।