
विदिशा में हुई संघ की तीन दिवसीय बैठक के अंतिम दिन कल चुनावों के साथ अंतिम सत्र सुझाव और सवालों का रखा गया था। इसमें संघ के प्रांतस्तर के पदाधिकारियों ने संघ प्रमुख के सामने अपने कुछ सुझाव रखें तो उनसे कुछ सवाल भी पूछे। भागवत ने इन सवालों का जवाब भी दिए। संघ के कुछ पदाधिकारियों का कहना था कि कुछ अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थानों का प्रबंधन उनकी अपनी कमेटी करती है और इसमें सरकारों का दखल नहीं है पर देश के कई बड़े मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण है। इनका प्रबंधन सरकार से लेकर समाज के लोगों को सौंपना चाहिए।
बता दें कि मध्यप्रदेश में सीएम शिवराज सिंह ने लगभग सभी प्राचीन मंदिरों को सरकारी कब्जे में ले लिया है। उनकी योजना मंदिरों में पुजारियां की नियुक्तियां करने की थी। सिंहस्थ 2016 के दौरान कहा गया था कि सीएम शिवराज सिंह ने दलितों को मंदिरों में पुजारी नियुक्त करने का ऐलान कर दिया है। इसके विरोध में संत समाज ने भोपाल की सड़कों पर जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन भी किया था। इसके बाद मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति का मामला तो टल गया लेकिन मंदिर अब भी सरकारी कब्जे में हैं जबकि कर्मकांड से जुड़े पंडित चाहते हैं कि मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए।