भोपाल में RTE फीस घोटाला, DPC की भूमिका संदिग्ध | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। शिक्षा का अधिकार कानून (RIGHT TO EDUCATION) के तहत प्राइवेट स्कूलों की 25 प्रतिशत सीटें निर्धन बच्चों के लिए आरक्षित की गईं हैं। SCHOOL बच्चों से फीस नहीं लेता बल्कि सरकार इन बच्चों की फीस PRIVET SCHOOL को अदा करती है। भोपाल में इसी फीस अदायगी के दौरान 19 करोड़ का घोटाला सामने आया है। इस मामले में डीपीसी समर सिंह राठौर (DPC SAMAR SINGH RATHOUR) की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। 19 करोड़ 52 लाख 65 हजार 638 रुपए का भुगतान तत्कालीन जिला कलेक्टर निशांत वरवड़े तक को अंधेरे में रखकर कर दिया है। शिकायत सीएम आॅफिस तक पहुंच चुकी है परंतु डीपीसी निश्चिंत है। उनका कहना है कि कोई विशेष मामला हो तो बताएं, जांच करा लेंगे। 

जिले के किसी भी प्राचार्य से मामले का परीक्षण नहीं कराया
जानकारी के अनुसार जब प्राइवेट स्कूलों को दी गई फीस संबंधी शिकायतें तत्कालीन जिला कलेक्टर व जिला मिशन संचालक निशांत वरवड़े के यहां की गईं। इसके बाद उन्होंने फीस का भुगतान करने के पहले हायर सेकंडरी स्कूलों के प्राचार्यों (राजपत्रित अधिकारी) की अध्यक्षता में जिले स्तर पर जांच के लिए नोडल अधिकारियों यानी प्राचार्यों की टीमों का गठन किया गया। साथ ही इन प्राचार्यों को स्कूलों को फीस देने संबंधी सभी बिंदुओं के आधार पर जांच करने के निर्देश दिए गए। गठित टीमों की जांच रिपोर्ट के आधार पर जिले के प्राइवेट स्कूलों को फीस का पैसा जारी होना था, लेकिन भोपाल डीपीसी समर सिंह राठौर व एपीसी सीमा गुप्ता द्वारा इस आदेश को दबा कर रख दिया। इसके बाद जिले के किसी भी प्राचार्य से मामले का परीक्षण नहीं कराया और इन प्राइवेट स्कूलों को फीस का भुगतान कर दिया गया। 

इस तरह किया गया फीस का भुगतान 
भोपाल जिले में मान्यता प्राप्त 1209 प्राइवेट स्कूल हैं। उनमें से 37 के पास अल्पसंख्यक संस्था द्वारा स्कूल संचालन का प्रमाण-पत्र है, जिससे वे आरटीई के दायरे में नहीं आते। जबकि 164 स्कूल ऐसे हैं, जो सीबीएसई से संबंधित हैं और उनकी आरटीई के तहत दी जाने वाली फीस 4209 रुपए से कई गुना ज्यादा है। बचे हुए 1008 में से 594 ऐसे स्कूल हैं, जिनकी वास्तविक सालाना फीस 1500 से 2000 रुपए तक है। इन स्कूलों के संचालकों द्वारा 4 से 6 हजार रुपए की राशि प्रत्येक बच्चे के मान से क्लेम की गई। ऐसे सभी स्कूलों से समझौता कर जितनी राशि का क्लेम प्राइवेट स्कूलों द्वारा किया गया, उतनी ही फीस का भुगतान कर दिया गया। 

जांच करवाएंगे 
आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूलों की फीस का नियम अनुसार नोडल ऑफिसरों की रिपोर्ट के आधार पर भुगतान किया गया है। यदि किसी स्कूल विशेष का मामला है, जिसे ज्यादा फीस का भुगतान हुआ है, तो मामले की जांच करवा कर कार्रवाई की जाएगी। 
समर सिंह राठौर, डीपीसी भोपाल 

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