
'नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई)" के तहत गरीब बच्चों को मुफ्त पढ़ाने के बदले सरकार निजी स्कूलों को 4209 रुपए प्रति छात्र फीस की प्रतिपूर्ति करती है। राजधानी में 1209 निजी स्कूलों में से 594 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें डेढ़ से दो हजार रुपए वार्षिक फीस है।
आरोप हैं कि डीपीसी ने सांठगांठ कर इन स्कूलों को 4209 रुपए फीस दिला दी। तय फीस के अलावा शेष राशि को स्कूल और अफसर आपस में बांट लेते थे। अब मामले की जांच ईओडब्ल्यू कर रहा है। इससे पहले राठौर पर स्टडी मटेरियल के नाम पर प्राइमरी और मिडिल स्कूलों को 570 रुपए में वन्यप्राणी और ऐतिहासिक इमारतों के चार्ट देने का भी आरोप लगा चुका है।