
इकरा के मुताबिक, बीते एक साल में बैंक की जमा दरों में 2.40 फीसद की औसतन कटौती हो चुकी है। इसलिए अब इसमें बढ़ोतरी होनी तय है। इकरा की इस बात को एसबीआइ की घोषणा से पुख्ता आधार भी मिल गया है। एसबीआइ ने फिलहाल बल्क डिपॉजिट पर जमा दरें बढ़ाकर इसकी शुरुआत की है। एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि की सावधि जमा को बल्क डिपॉजिट की श्रेणी में रखा जाता है।
एसबीआइ ने 46 से 210 दिनों तक के लिए बल्क जमाओं पर देय ब्याज दरों को 4.85 फीसद सालाना से बढ़ाकर 6.25 फीसद कर दिया है। एक वर्ष की अवधि की बल्क जमाओं पर ब्याज दरों को भी एक फीसद बढ़ाकर 6.25 फीसद किया गया है। बैंक ने बुजुर्गो को भी आकर्षित करने की कोशिश की है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक वर्ष से 455 दिनों तक की जमा स्कीमों पर ब्याज दर 5.75 फीसद से बढ़ाकर 6.75 फीसद किया गया है।
बैंकिंग की दुनिया में जमा स्कीमों पर ब्याज दर बढ़ाने को कर्ज महंगा करने के पहले कदम के तौर पर देखा जाता है। सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने के बाद सुब्रमणियन ने भी महंगे कर्ज का संकेत दिया था। उन्होंने कहा था, ‘एक तरफ महंगाई बढ़ रही है, दूसरी तरफ विकास दर भी रफ्तार पकड़ रही है। ऐसे में रिजर्व बैंक के पास आने वाले महीनों में ब्याज दरों में कटौती करने का विकल्प नहीं रहेगा।’ आरबीआइ सात फरवरी को मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश करने वाला है। अब तो कई अर्थविद यह कहने लगे हैं कि भारत में सस्ते कर्ज का माहौल लौटने में अब काफी वक्त लगेगा।