नाबार्ड के दवाब में TCS को बिना टेंडर काम दिया गया! | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्यप्रदेश के सरकारी बैंकों में CORE BANKING का काम बिना टेंडर से टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TATA CONSULTANCY SERVICES) को सौंपा गया। इस मामले का खुलासा होने के बाद सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव केसी गुप्ता ने इस पर अपनी सफाई पेश की है। उनका कहना है कि TCS को काम NABARD की स्टेयरिंग कमेटी के कहने पर दिया गया। यदि उनका दवाब ना होता तो APEX BANK इसे ठुकरा चुका था। सवाल यह है कि बिना टेंडर (TENDER) प्रक्रिया के किसी भी COMPANY को 3 साल का एक्सटेंशन कैसे दिया जा सकता है। इसमें रिश्वतखोरी का संदेह उत्पन्न होता है और मामले की जांच होनी चाहिए। 

सहकारिता विभाग ने स्वीकारा है कि नाबार्ड परियोजना में विभिन्न राज्यों के अफसरों वाली स्टेयरिंग कमेटी ने टीसीएस को अगले 5 साल के लिए काम देने का निर्णय लिया था, जिस पर अपैक्स बैंक राजी नहीं था। टीसीएस से बेहतर विकल्प चुनने और अच्छी सेवा के लिए नई कंपनी चाहते थे, लेकिन बैंक ग्राहकों के हितों के सरंक्षण में टीसीएस को बिना टेंडर के काम दिया है। 

सरकार ने सीधे 5 साल का काम देने की बजाय हटाने का विकल्प रखा है। सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव केसी गुप्ता ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड की स्टेयरिंग कमेटी ने 31 दिसंबर 2017 को अनुबंध खत्म होने के बाद देशभर में टीसीएस को समान शर्तों पर अगले 5 साल के लिए काम देने का निर्णय लिया था। 

अपैक्स बैंक टीसीएस को काम नहीं देना चाहता है, जिसके चलते टेंडर के माध्यम से कंसलटेंट की नियुक्ति और बाद में सर्विस प्रोवाइडर कंपनी को चुना जाना है। इस रिवर्स ट्रांजेक्शन की प्रक्रिया में समय लग रहा है। कंसलटेंट के लिए अगस्त में टेंडर बुलाए थे, जो निरस्त हो गए। इसके री-टेंडर 29 जनवरी को खुलेंगे। विभाग ने यह भी तर्क दिया है कि टीसीएस का जो अनुबंध अभी बढ़ाया गया है, उसमें नाबार्ड द्वारा तय या आर्बिटेशन में मंजूर होने के हिसाब से जो कम होगी, वो फीस चुकाई जाएगी। 

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!