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सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) ने नोटबंदी के बाद विभाग की आय में बढ़ोतरी के लिए वित्त वर्ष प्रारंभ होने के दो महीने बाद 1 जून से इसे लागू किया है। हालांकि ज्यादातर करदाताओं और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन विभाग का कहना है कि वह सेमिनार के जरिए जानकारी देने का प्रयास कर रहा है। जानकार बताते हैं कि यह नया प्रावधान मकान मालिकों (LANDLORD) की परेशानी बढ़ाएगा।
INCOME TAX ACT की धारा 194 आईबी के तहत यह व्यवस्था लागू की गई है। यह प्रावधान व्यक्तिगत एवं अविभाजित हिन्दू परिवार (जिनका अकाउंट ऑडिट नहीं होता) पर लागू होगा। इसमें कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति अपना मकान, दुकान अथवा अन्य प्रापर्टी 50 हजार रुपए प्रतिमाह अथवा उससे अधिक की राशि पर किराए से देता है तो उसे पांच प्रतिशत टीडीएस देना होगा। टीडीएस की यह राशि किराएदार विभाग में जमा करेगा और उसे हर तीन महीने में अपने आयकर विवरण में अपना विवरण भी देना होगा। इसके अलावा विभाग वेबसाइट (ट्रेसेस) पर जाकर इसका टीडीएस सर्टिफिकेट भी DOWNLOAD कर मकान मालिक को देना होगा।
भरपाई के लिए नया उपाय
विभागीय सूत्रों का कहना है कि किराया देने और लेने वाले, दोनों को ही अपने बुक्स ऑफ अकाउंट्स में इसका ब्योरा दर्ज करना होगा। साथ ही उसका टैक्स देना अनिवार्य हो जाएगा। बताया जाता है कि नोटबंदी के बाद की मंदी से विभाग की रिवेन्यू में आई गिरावट की भरपाई के लिए यह उपाय निकाला गया है। वित्त वर्ष के अंत में असेसमेंट के दौरान आयकर अधिकारी प्रोसेसिंग के दौरान यदि यह पाते हैं कि विभाग के पास निर्धारित से ज्यादा टैक्स आ गया है तो संबंधित आयकरदाता के खाते में रिफंड जमा करा दिया जाएगा।
विलंब होने पर लगेगा ब्याज
टीडीएस की यह राशि यदि किराएदार समय पर जमा नहीं करता है तो उसे डेढ़ प्रतिशत ब्याज (INTEREST) के साथ राशि जमा करानी पड़ेगी। आयकर विभाग 31 तरह की सेवाओं पर टीडीएस वसूलता है। इसमें धारा 194 (आईबी) में इस प्रावधान के तहत पहली बार किराए की राशि पर टैक्स वसूली होगी। विभाग का मानना है इस मद में उसे मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ से बड़ी राशि मिलेगी।
टीडीएस प्रावधान में नया बदलाव
सरकार ने इस वर्ष टीडीएस के प्रावधान में नया बदलाव किया है। इस संबंध में प्रचार-प्रसार ज्यादा नहीं हुआ। टैक्स वसूली का यह पहला साल है। टीडीएस रिटर्न जमा करना भी जरूरी है, डिफाल्टर होने पर ब्याज और जुर्माने का प्रावधान भी है।
मनोज शर्मा, चार्टर्ड अकाउंटेंट, भोपाल