राकेश दुबे@प्रतिदिन। राजस्थान में मिली जीत के बाद अब कांग्रेस को राजनीतिक आकाश में लम्बी छलांग मारने का हौसला आ गया है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में 17 विपक्षी दलों की बैठक में इसे महसूस भी किया गया। बेटे राहुल गांधी को पार्टी की बागडोर सौंपने के बाद सोनिया की यह पहली बैठक थी। इसमें खासा जोर केंद्र में सत्तासीन भाजपा और उसके गठबंधन के खिलाफ एकजुटता, एक मन और एक दिल होकर जुटने का आह्वान किया गया। सवाल यह है कि क्या कांग्रेस को उसके गुजरात और राजस्थान के प्रदर्शन ने संजीवनी दी है? उत्तर सकारत्मक संकेत देता है।
कांग्रेस इन दिनों जिस काम में जुटी है वह न केवल भाजपा की विरोधी पार्टियों को एक साथ एक मंच पर लाना है बल्कि उनके साथ मुद्दों पर भी आम सहमति बनाने का भी है। हालांकि यह काम बेहद कठिन है, मगर भाजपा की आहिस्ता-आहिस्ता उभार से हर कोई हलकान है।स्वाभाविक रूप से विपक्षी एकता की राह में यही एकजुटता रोड़ा भी है। पूर्व में विपक्षी दलों के एक होकर लड़ने का इतिहास कमजोर रहा है। यही वजह है कि भाजपा को उभरने का मौका मिला। वैसे सोनिया ने बैठक में साफ तौर पर कहा कि हमें हर हाल में पूर्व के मतभेदों पर पानी डालना होगा और राष्ट्रीय स्तर पर सहमति का मसौदा तैयार करना होगा। जिन मुद्दों को लेकर 2019 के रण में उतरना होगा, उस पर भी विस्तार से चर्चा की गई। मसलन; घृणा की विचारधारा, सांप्रदायिक हिंसा व जातिगत उम्माद को खत्म करने की दिशा में कैसे मिलकर काम करना है आदि।
इस बैठक में सोनिया और राहुल दोनों ने ‘घृणा की विचारधारा के फैलाव’ पर अपनी बात रखी, उससे इतना तो साफ समझ में आता है कि संप्रग की सियासी लड़ाई का प्रमुख मसला क्या होगा? इतना ही नहीं खराब आर्थिक हालात, बेरोजगारी, मूल्यवृद्धि और संवैधानिक संस्थाओं को नीचा दिखाने की वर्तमान केंद्र सरकार की नीतियों को जनता के बीच लेकरजाने की भी योजना है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात जो बैठक में कही गई, वह थी राज्यों में पार्टियों का एक-दूसरे के खिलाफ लड़ाई को वहीं तक सीमित कर राज्यों में विवाद को आम समझ के साथ सुलझाया जाए। राष्ट्रीय स्तर पर एक कंक्रीट गठबंधन के लिए यह बैठक कितना कारगर होगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है. किंतु 17 विपक्षी दलों का एक साथ टेबुल पर आना आने वाले दिनों में कुछ रोमांचक और रोचक दृश्य और तथ्यों के साथ देखने को जरूर मिलेगा।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।