भोपाल। छिंदवाडा जिले के पंधुरना में रहने वाले मोटर मैकेनिक संजय कोले का 14 साल के बेटे दर्शन कोले ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई तो नहीं की लेकिन उसने इंजीनियर्स को मात दे दी है। उसने एक ऐसी वाशिंग मशीन बनाई है जिसकी लागत मात्र 1740 रुपए है। मजेदार बात तो यह है कि यह बिना बिजली के भी चलती है और आप चाहें तो इसे बिजली से भी चला सकते हैं। दर्शन ने इस डिवाइस का अविष्कार अपनी मां के लिए किया है। उसकी मां अक्सर बीमार रहती है। कपड़े नहीं धो पाती थी।
व्यायाम के साथ कपड़ों को धुलाई
दर्शन कोले की वाशिंग मशीन में यह पहला आॅप्शन है। आप साइकिलिंग भी कर लेंगे और कपड़े भी धुल जाएंगे। बिजली की जरूरत नहीं। बस साइकिल पर पैडल मारिए और कपड़े धुल जाएंगे। दर्शन बताते हैं, "हमारी 6 लोगों की फैमिली है। मां ही सभी के कपड़े धोती हैं। अकसर वो कपड़े धोने की वजह से बीमार पड़ जाती थीं। वहीं से मुझे इसे बनाने का आइडिया आया।
टीचर ने की मदद, इंस्पायर अवॉर्ड से मिले पैसे
14 साल के दर्शन 8वीं के स्टूडेंट हैं। उन्होंने बताया, "मैंने ठान लिया था कि देसी जुगाड़ से वॉशिंग मशीन बनाऊंगा। मशीन कैसे बनेगी और उसके पीछे क्या साइंस लगेगा, यह मेरे दिमाग में क्लीयर था, लेकिन उसका सामान जुटाने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे। मैंने अपनी प्रॉब्लम और आइडिया जब अपने स्कूल टीचर्स के सामने रखा तो उन्हें यह काफी पसंद आया। टीचर्स ने मेरा नाम इंस्पायर अवॉर्ड के नॉमिनेशन्स में भेजा। वहां सिलेक्ट होने के बाद मुझे 5 हजार रुपए इनाम मिले।
वॉशिंग मशीन के लिए मैंने एक पुरानी साइकिल, एक ड्रम, दो थाली, एक लोहे की रॉड और एक जाली खरीदी। उसके बाद ड्रम के अंदर इन सभी चीजों को फिट कर दिया। बाद में मैंने इस मशीन को रॉड के जरिए साइकिल से जोड़ दिया। साइकिल का पैडल चलाने से बिना बिजली के यह मशीन कपड़े की अच्छे से धुलाई करती है। इसे बनाने में डेढ़ महीने का टाइम लगा। टोटल खर्च 1740 रुपए का रहा। अब मेरे घर पर रोज इसी मशीन से कपड़े की धुलाई होती है। इस मशीन को कोई भी चला सकता है।