
शिव महापुराण में सप्ताह के सात दिन में शिव की अलग-अलग साधना का विधान है। 27 नक्षत्रों में भी शिव की साधना नक्षत्र के अधिपति के साथ की जाती है। महाशिवरात्रि पर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र है। इस नक्षत्र के स्वामी स्वयं शिव हैं। इस नक्षत्र को कार्यसिद्धि के लिए विशेष माना गया है। इसलिए महाशिवरात्रि पर प्रदोष काल से निषिथ काल (मध्यरात्रि के बाद तक) में भगवान शिव की अलग-अलग कामना से पूजा आराधना करने का विशिष्ट फल मिलेगा।
44 घंटे खुले रहेंगे महाकाल के पट
महाशिवरात्रि पर विश्व प्रसिद्घ ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के पट सतत 44 घंटे खले रहेंगे। भक्त महाकाल के दर्शन व आराधना कर सकते हैं। अन्य शिव मंदिरों में भगवान की शास्त्रोक्त पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
मंगलनाथ व अंगारेश्वर की आराधना विशेष
भौम प्रदोष पर भगवान मंगलनाथ व अंगारेश्वर की आराधना का विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि के साथ भौम प्रदोष के संयोग ने इसके महत्व को और भी बढ़ा दिया है। इन मंदिरों में भी भक्त मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए पूजन कर सकते हैं।