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जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की बेंच ने एमपी सरकार की तरफ से फाइल किए गए एफिडेविट पर कहा 'आपके और इस एफिडेविट के अनुसार औसतन आप रेप पीड़िताओं को 6 हजार रुपये दे रहे हैं। क्या आप कोई चैरिटी कर रहे हैं? आप ऐसा कैसे कर सकते हैं।
कोर्ट ने आगे कहा 'मध्य प्रदेश के लिए आंकड़े शानदार है। राज्य में 1951 रेप पीड़िताएं हैं और आप इन्हें मात्र 6 हजार से लेकर साढ़े 6 हजार रुपये बांट रहे हैं। क्या यह अच्छा, सराहनीय है? ये क्या है। राज्य सरकार ने रेप पीड़िताओं के फंड पर मात्र एक करोड़ रुपये खर्च किया है।
गौरतलब है कि अदालत ने पिछले महीने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक एफिडेविट देने को कहा था जिसमें रेप पीड़िताओं के लिए निर्भया फंड के तहत केंद्र से मिलने वाली राशि, रेप पीड़िताओं की संख्या और रेप पीड़िताओं को आवंटित की गई राशि का ब्योरा मांगा गया था. गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 में दिल्ली में हुए गैंगरेप और मर्डर के बाद केंद्र ने 2013 में निर्भया फंड स्कीम की घोषणा की थी।