नई दिल्ली। कश्मीर का मुद्दा यूएन में है। पाकिस्तान दावा करता है कि कश्मीर एक मुस्लिम क्षेत्र है, इसलिए उसे पाकिस्तान का हिस्सा होना चाहिए। कश्मीर को मुस्लिम बाहूल्य बनाने के लिए कश्मीरी पंडितों का नरसंहार किया गया। आतंकवादी आज भी हिंदुओं को कश्मीर में रुकने नहीं देते, बावजूद इसके यहां हिंदुत्व की जड़ें कितनी मजबूत हैं, यह इसका प्रमाण यह है कि कश्मीर में आज भी शिवरात्रि 8 दिन तक मनाई जा रही है। पंचमी के दिन 20 फरवरी को भंडारा का आयोजन किया गया है।
हिंदुओं के घर सूने लेकिन मंदिर में उत्सव जारी है
श्रीनगर के पत्रकार ननु जोगिंदर सिंह की रिपोर्ट के अनुसार ओल्ड कश्मीर का इलाका गणपतयार। पुराने कश्मीरी शैली में बने हुए मकानों के दरवाजे लाइन से बंद हैं। जहां कभी तीन हजार से अधिक मकान कश्मीरी पंडितों के हुआ करते थे, वहां ज्यादातर इलाके वीरान हैं। कुछ मकान कश्मीरी पंडितों ने बेच दिए हैं और कुछ बंद हैं। लेकिन मुस्लिम परिवारों और कुछ दुकानों के बीच सदियों पुराने गणेश मंदिर की घंटियां अब भी बज रही हैं। देशभर में शिवरात्रि हो चुकी है, लेकिन कश्मीर में अभी भी यह त्योहार मनाया जा रहा है। कश्मीरी पंडितों के इस सबसे बड़े त्योहार शिवरात्रि पर अब भी यहां रहने वाले 5 परिवारों के सहित सभी कश्मीरी पंडित उत्सव मनाते हैं।
पहले एक महीने तक मनाया जाता था शिवरात्रि
सब पूजा तो करते ही हैं, दूसरे दिन विदाई पर रिश्तेदारों और पड़ोसियों के साथ खाना भी खाते हैं। यहां शिवरात्रि का त्योहार आठ दिनों तक मनाया जाता है। किसी जमाने में महीना भर चलने वाला ये त्योहार कश्मीरी पंडितों की लगातार कम होती आबादी के बावजूद अभी भी अच्छे से मनाया जाता है। पहले तीन दिन पूजा होती है और फिर पंचमी से प्रसाद बंटना शुरू होता है, जिसे अष्टमी के पहले तक बांटना होता है।
मुहूर्त से एक रात पहले शुरू हो जाता है उत्सव
पहला दिन हेरथ, दूसरे दिन को सलाम या विदाई और तीसरे दिन को वटक परमूंज़न या डून मावस कहा जाता है। पूरे देश में मनाई जाने वाली शिवरात्रि से एक रात पहले ही यहां पर होती है पूजा। भैरों की पूजा से इनकी शुरुआत होती है। कुछ लोग शिव व पार्वती बनकर भी पूजा करते हैं।