भोपाल। अध्यापक संघर्ष समिति ने प्रदेशभर में मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टरों को ज्ञापन देकर सरकार से पूछा कि चार दिन बात बजट सत्र शुरू होने वाला है इसीलिए अब तो सरकार को अध्यापकों के शिक्षा विभाग में संविलियन की घोषणा की प्लानिंग सार्वजनिक करनी चाहिए। ज्ञापन के जरिए संघर्ष समिति ने सरकार से सितंबर 2013 से छठवां एवं जनवरी 2016 से सातवां वेतनमान मय एरियर के दिए जाने तथा इसके लिए बजट में पर्याप्त बजट का प्रावधान किए जाने की मांग की।
संघर्ष समिति की ओर से इंदौर, उज्जैन, सिंगरौली, छिंदवाड़ा, सतना, नरसिंहपुर, सीहोर, बैतूल, ग्वालियर रायसेन, भिंड, आदि सहित 35 से अधिक जिलों में ज्ञापन दिए गए। जिलों में संघर्ष समिति की ओर से सतना में सुनील मिश्रा, प्रभाकर पाण्डे, सिंगरौली में रमाकांत शुक्ला, सीहोर में बाबूलाल मालवीय, छिंदवाड़ा में ताराचंद भलावी, महेश भादे, नरसिंहपुर में सुश्री मुक्ति राय, के सी त्यागी, उज्जैन अशोक झकवालिया, इंदौर में भरत भार्गव, ग्वालियर में सुश्री शकुंतला तौमरो बैतूल में लीलाधर नागले ने अगुआई की। जिला मुख्यालयों के अलावा 50 से अधिक जगह में भी ज्ञापन दिए गए।
ज्ञापन देते हुए अध्यापक संघर्ष समिति के नेताओं ने कहा कि संविलियन की घोषणा के बाद सरकार की खामोशी चिंताजनक है, घोषणा को एक महीना पूरा हो चुका है लेकिन अब तक सरकार की ओर से संविलियन की घोषणा पर रत्तीभर भी काम अधिकारी स्तर पर शुरू नहीं हुआ है। संघर्ष समिति का स्पष्ट मानना है कि सीएम ने संविलियन की घोषणा आंदोलनों के दबाव में की है, इसीलिए इस पर अमल कराने के लिए भी आंदोलन करना ही पड़ेगा, इसके लिए अध्यापकों को अभी से मानसिक तौर पर तैयार रहने की जरूरत है।
अध्यापक नेताओं का मानना है कि संविलियन की घोषणा सिर्फ आंदोलन की आग को ठंडा करने की मंशा से की है, यदि सीएम ने संविलियन की घोषणा अध्यापकों के हित के लिए की होती, तब वे अब तक संविलियन की पूरी प्लानिंग पौने तीन लाख अध्यापकों को बता चुके होते और इससे पहले सितंबर 2013 से छठवां, जनवरी 2016 से सातवां एरियर सहित देने के आदेश हो जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया, इससे ही स्पष्ट है कि सरकार एक बार फिर अध्यापकों के साथ धोखा करने वाली है, इसीलिए यह समय स्वागत सत्कार का नहीं बल्कि चौकन्ना रहकर सरकार पर नजर रखने का है।