
मंत्रालय ने मुद्दे पर 2015 में आए दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के बारे में केंद्र सरकार के सभी विभागों को लिखा है। कार्मिक मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों को अपने ताजा निर्देश में कहा है, ‘सभी मंत्रालयों/विभागों को सलाह दी जाती है कि वे संबंधित अधिकारियों को इसकी विषय वस्तु के बारे में व्यापक जानकारी दें।’
मंत्रालय ने इसके साथ अदालत के आदेश की प्रति भी संलग्न की है। अदालत का फैसला केंद्रीय विद्यालय की एक शिक्षिका की याचिका पर आया था जिसने किराए की कोख से जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था। उसे इस आधार पर मातृत्व अवकाश नहीं दिया गया था कि वह जैविक मां नहीं है।
अदालती आदेश में कहा गया था, ‘बच्चा हासिल करने वाली मां मातृत्व अवकाश की हकदार होगी।’अदालत ने अपने समक्ष रखी गई सामग्री के आधार पर कहा कि सक्षम प्राधिकारी किराए की कोख से बच्चा हासिल करने वाली मां को मातृत्व अवकाश देने के समय और अवधि के बारे में फैसला करेंगे। ऐसी स्थिति में सक्षम प्राधिकारी द्वारा उचित व्यवस्थापन किया जाएगा, जहां किराए पर कोख देने वाली और उससे बच्चा हासिल करने वाली महिला, दोनों ही कर्मचारी हों जो भिन्न प्रकार से (एक इस आधार पर कि वह बच्चा प्राप्त करने वाली मां है दूसरी इस आधार पर कि वह एक गर्भवती महिला है) अवकाश की हकदार हैं।
अदालती आदेश में कहा गया था, 'बच्चा हासिल करने वाली मां मातृत्व अवकाश की हकदार होगी। अदालत ने अपने समक्ष रखी गई सामग्री के आधार पर कहा कि सक्षम प्राधिकारी किराए की कोख से बच्चा हासिल करने वाली मां को मातृत्व अवकाश देने के समय और अवधि के बारे में फैसला करेंगे।
ऐसी स्थिति में सक्षम प्राधिकारी द्वारा उचित व्यवस्थापन किया जाएगा, जहां किराए पर कोख देने वाली और उससे बच्चा हासिल करने वाली महिला, दोनों ही कर्मचारी हों जो भिन्न प्रकार से (एक इस आधार पर कि वह बच्चा प्राप्त करने वाली मां है दूसरी इस आधार पर कि वह एक गर्भवती महिला है) अवकाश की हकदार हैं।