
कहीं से भी होगा वेरिफिकेशन
निजी विश्वविद्यालयों को आयोग के पोर्टल पर अंकसूची और डिग्री लोड करना होगी। इसके बाद अगर छात्र का कहीं प्लेसमेंट होता है तो इसकी सत्यता की जांच ऑनलाइन की जा सकेगी। आयोग के अधिकारियों के मुताबिक इससे किसी प्रकार का फर्जीवाड़ा भी नहीं हो सकेगा। इसमें केवल वैध डिग्री और अंकसूची लोड रहेगी इसलिए यह व्यवस्था लागू की जा रही है। विवि द्वारा दी गई डिग्री और अंकसूची ही पोर्टल पर लोड की जा सकेगी।
एक मुश्त बताएं कितनी फीस
आयोग ने मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधियों को यह निर्देश भी दिए कि वे छात्रों के अभिभावकों यह स्पष्ट जानकारी दें कि उन्हें पूरे कोर्स की कितनी फीस देना होगी। फीस विभिन्न किश्तों में देना होती है। विश्वविद्यालयों को यह बताना होगा कि पूरे कोर्स की फीस कितनी है और कितनी किश्तों में कितनी-कितनी राशि चुकाना होगी।
आयोग के अधिकारियों ने बताया कि अभिभावकों की ओर से कई बार ऐसी शिकायतें मिली हैं जब फीस की राशि बढ़ी हुई बताई गई है। ऐसे में अभिभावकों को बहुत परेशानी होती है और उन पर आर्थिक भार पड़ता है। मेडिकल कोर्स की फीस ज्यादा होती है इसलिए सबसे ज्यादा परेशानी इसी से संबंधित होती है।
इनका कहना है
सभी निजी विश्वविद्यालयों की डिग्री और अंकसूची का ऑनलाइन वेरिफिकेशन होगा। इसे लागू किया जा रहा है। इसी के साथ मेडिकल यूनिवर्सिटी को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे फीस में स्पष्टता रखें और अभिभावकों को बताएं कि उन्हें किस किश्त में कितनी राशि देना होगी।
डॉ.अखिलेश कुमार पांडेय, अध्यक्ष, निजी विवि विनियामक आयोग