नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने हाल में लॉन्च इलोक्टोरल बॉन्ड स्कीम के तहत पहली बार चुनावी बॉन्ड बेचने की तारीख तय कर दी है। केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के मुताबिक किसी राजनीतिक दल को चन्दा देने के लिए अब आम आदमी इलेक्टोरल बॉन्ड को 1 मार्च 2018 से 10 मार्च 2018 तक खरीद सकता है। वित्त मंत्रालय के मुताबिक फिलहाल राजनीतिक दलों की फंडिंग के लिए इन बॉन्ड को बेचने का काम देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को दिया गया है। देश के चार प्रमुख शहर नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई स्थित SBI की शाखाओं पर इस बॉन्ड को खरीदा जा सकता है। पहले केन्द्र सरकार इस बॉन्ड की बिक्री जनवरी में शूरू करना चाहती थी लेकिन अब 2018 की पहली तिमाही के लिए चुनावी बॉन्ड की बिक्री मार्च 2018 में कर रही है।
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 2018 का नोटिफिकेशन 2 जनवरी 2018 को जारी कर दिया था। इस नोटिफिकेशन के मुताबिक केन्द्र सरकार ने किसी भारतीय नागरिक अथवा भारत में रहने वाला व्यक्ति राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ने के लिए चंदा देने की जगह इस बॉन्ड को खरीद सकता है।
केन्द्र सरकार के नियम के मुताबिक महज वह राजनीतिक दल जो रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट 1951 के सेक्शन 29 ए के तहत रजिस्टर्ड हैं ही इस इलेक्टोरल बॉन्ड को प्राप्त कर सकती है। हालांकि इलेक्टोरल बॉन्ड के लिए वही राजनीतिक दल योग्य होंगे जिन्हें पिछले लोकसभा चुनाव अथवा किसी राज्य के विधानसभा चुनाव में कम से कम कुल वोट का एक फीसदी वोट मिला हो।
वहीं चंदे के तौर पर राजनीतिक दलों को मिले इलेक्टोरल बॉन्ड को यदि उसे भुनाना है तो वह उन्हें इन शहरों के स्टेट बैंकों में अपने बैंक अकाउंट का इस्तेमाल करना होगा। वहीं राजनीतिक दलों के चंदे पर लगाम लगाने के लिए लाए गए इन इलेक्टोरल बॉन्ड को कोई व्यक्ति अकेले अथवा अन्य व्यक्तियों के साथ सम्मिलित होकर खरीद सकता है।
केन्द्र सरकार के नियम के मुताबिक इन इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता जारी करने की तारीख से महज 15 दिन तक रहेगी। लिहाजा कोई राजनीतिक दल यदि इलेक्टोरल बॉन्ड को 15 दिन के बाद जमा कराती है तो उसे अवैध मानते हुए कोई भुगतान नहीं किया जाएगा। वहीं स्कीम की खास बात यह भी है कि कोई राजनीतिक दल जिस दिन इलेक्टोरल बॉन्ड को अपने बैंक अकाउंट के तहत बैंक के सामने पेश करती है उसे भुगतान उसी दिन कर दिया जाएगा।
चुनावी बांड से सम्बंधित प्रमुख तथ्य
चुनावी बांड की न्यूनतम कीमत Rs.1000 और अधिकतम एक करोड़ रुपये तक होगी.
इलेक्टोरल बांड 1,000 रु., 10,000 रु., 1 lakh रु, 10 lakh रु. और 1 crore रु. denomination के होंगे.
हर महीने 10 दिन बांड की बिक्री होगी.
परन्तु जिस वर्ष लोक सभा चुनाव होंगे उस वर्ष भारत सरकार द्वारा बांड खरीदने के लिए 30 दिन (extra) और दिए जायेंगे.
बांड जारी होने के 15 दिनों के भीतर उसका इस्तेमाल चंदा देने के लिए करना होगा.
चुनाव आयोग में registered party से पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों, उसे ही बांड दिया जा सकेगा.
Electoral Bond राजनैतिक दल के रजिस्टर्ड खाते में ही जमा होंगे और हर राजनैतिक दल को अपने सालाने प्रतिवेदन में यह बताना होगा कि उसे कितने बांड मिले.
चुनावी बांड देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी.
चुनावी बांड पर कोई भी ब्याज नहीं मिलेगा.
Electoral Bond के फायदे
अक्सर ब्लैक मनी वाले पार्टी को चंदा दिया करते थे. अब यह संभव नहीं होगा क्योंकि अब कैश में transanction न होकर बांड ख़रीदे जायेंगे.
पार्टी को बांड देने वालों की identity बैंक के पास होगी.
अक्सर बोगस पार्टियाँ पैसों का जुगाड़ करके चुनाव लड़ती हैं. इस पर अब रोक लग सकेगी क्योंकि उन्हें पार्टी फण्ड के रूप में बांड तभी दिए जा सकेंगे जब तक उनको पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% vote मिले हों.