इंदौर। शेर-ए-इंदौर के नाम से पहचाने जाने वाले दबंग नेता सुरेश सेठ नहीं रहे। वे पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। पूर्व मंत्री और इंदौर के महापौर रह चुके सुरेश सेठ ने 87 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। इंदौर की सड़कों पर स्ट्रीट लाइट लगाने का श्रेय सुरेश सेठ को जाता है। महापौर रहते हुए सुरेश सेठ ने शहर की चुनिंदा प्रमुख सड़कोंं पर स्ट्रीट लाइटें लगवाई थी। उसके पहले सड़कों पर लालटेन लगा करती थी।
सेठ विधायक और मंत्री भी रह चुके हैं। उनकी गिनती शहर के बेहद कर्मठ, ईमानदार नेताओं में होती थी। उन्होंने मजदूर आंदोलन की अगुवाई भी की थी। अपनी बेबाक शैली के चलते विरोधी भी उनकी प्रतिभा का लोहा मानते थे। कुछ समय से वे बीमार चल रहे थे और निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। सुरेश सेठ के निधन की खबर मिलते ही अस्पताल और उनके घर परिचितों के पहुंचने का सिलसिला शुरु हो गया है, इनमें कई कांग्रेस नेता शामिल हैं।
सुरेश सेठ अपनी पार्टी के नेताओं की गलती होने पर सार्वजनिक रूप से बोलने से नहीं चूकते थे. इंदौर से ही कई बार विधायक रहे सुरेश सेठ इस शहर के प्रथम नागरिक यानी महापौर भी रहे थे. उम्र की सांझ में भी उन्होंने भिड़ने का जज्बा कायम रखा था और बीजेपी के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला को सुगनीदेवी जमीन घोटाले का केस दर्ज कराया था.