भोपाल। कोलारस विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद जंग रोचक हो गई है। अब यहां चुनाव केवल सीएम शिवराज सिंह और सिंधिया के बीच नहीं रहा बल्कि दोनों प्रत्याशियों के बीच भी हो गया है। भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र जैन कोलारस से विधायक रह चुके हैं और कांग्रेस प्रत्याशी महेन्द्र सिंह यादव घोषित विधायक तो नहीं थे परंतु सरपंच पति की तरह सारे पावर विधायक पुत्र के पास ही थे। यूं तो 'रामसिंह दद्दा' के खाते में दर्ज वोटों की संख्या काफी है परंतु टिकट मिलने के बाद हालात बदल गए हैं। महेन्द्र यादव अपने घर में ही घिरते नजर आ रहे हैं।
कोलारस विधानसभा में यादव परिवारों को सबसे ताकतवर परिवार माना जाता है। 'रामसिंह दद्दा' के अलावा उनके समधी बैजनाथ सिंह यादव और बदरवास के लाल सिंह यादव का रुतबा इलाके में काफी रहा है। अब लालसिंह यादव और 'रामसिंह दद्दा' तो रहे नहीं, उनके बेटे राजनीति कर रहे हैं। महेन्द्र यादव को टिकट मिलने के बाद यादव कुनबे में ही फूट की खबरें आ रहीं हैं। कहा जा रहा है कि महेन्द्र यादव का क्षेत्र पर वो होल्ड नहीं है जो 'रामसिंह दद्दा' का हुआ करता था।
कहा यह भी जा रहा है कि 'रामसिंह दद्दा' तो केवल नाम के विधायक थे। सारे फैसले महेन्द्र यादव ही लिया करते थे, अत: विधायक का विरोध भी महेन्द्र सिंह के खाते में ही है। कोलारस विधानसभा में जातिवाद की राजनीति हावी रही है और यह अक्सर कांग्रेस को फायदा दिया करती थी परंतु अब सीएम शिवराज सिंह ने जातिवाद के समीकरण बदल दिए हैं। कोलारस का रिकॉर्ड बताता है कि यहां का मतदाता कभी वोटबैंक नहीं रहा। वो बारी बारी भाजपा और कांग्रेस को मौका देता आया है। कुल मिलाकर हालात तनावपूर्ण हैं। ऊंट किस करवट बैठेगा कहा नहीं जा सकता परंतु यह जरूर कहा जा सकता है कि कोलारस में ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी के बावजूद चुनाव इकतरफा नहीं रहा। टक्कर कांटे की है।