जबलपुर। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी मध्यप्रदेश में विवादित फिल्म पद्मावत रिलीज नहीं हो पाई। पिछले 7 दिन से कई सिनेमाघरों में ताले डले हुए हैं क्योंकि फिल्म का विरोध कर रहे संगठनों ने सिनेमाघरों पर हिंसक हमले की धमकी दी थी और शिवराज सिंह सरकार ने सुरक्षा की गारंटी देने से इंकार कर दिया था। जबलपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में शिवराज सिंह सरकार को निर्देशित किया है कि वो मप्र के सभी शहरो में तमाम सिनेमाघरों के बाहर जरूरी सुरक्षा मुहैया कराएं। दरअसल सिनेमा एसोसिएशन और फ़िल्म निर्माता कंपनी की ओर से हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इससे पहले एसोसिएशन ने सीएम शिवराज सिंह से मुलाकात कर सुरक्षा की गारंटी मांगी थी।
राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपने के आदेश
मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को प्रदेश में विरोध करने वालों और फिल्म की रिलीज टालने पर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है। कोर्ट ने राज्य सरकार को इस रिपोर्ट को सौंपने के लिए फरवरी के आखिरी सप्ताह तक का समय दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि फिल्म को जल्द ही प्रदेश के तमाम सिनेमाघरों में रिलीज किया जाएगा, लेकिन रिपोर्ट पर इस महीने के अंतिम सप्ताह में सुनवाई होगी।
5 जनवरी को रिलीज होनी थी फिल्म
पिछले दिनों ‘पद्मावत’ पर मध्यप्रदेश में प्रतिबंध के सवाल के जवाब में प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, ‘‘जो कहा था, वो होगा।’’ हालांकि उन्होंने इस विवादास्पद फिल्म पर मध्य प्रदेश सरकार के रुख के बारे में अधिक स्पष्टीकरण नहीं दिया था। पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि यह फिल्म 25 जनवरी को रिलीज हो जाएगी।
शिवराज सिंह ने किया था ऐलान
गौरतलब है कि 20 नवम्बर को मुख्यमंत्री निवास परिसर भोपाल में राजपूत क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधिमंडल के लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘‘इतिहास पर जब फिल्में बनाई जाती हैं तो ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ कोई बर्दाश्त नहीं करेगा। पूरा देश एक स्वर में कह रहा है कि फिल्म में ऐतिहासिक मूल्यों से खिलवाड़ किया गया है इसलिये मैं पूरे जोश और होश में यह कह रहा हूं कि ऐतिहासिक तथ्यों से खिलवाड़ कर अगर रानी पद्मावती के सम्मान के खिलाफ फिल्म में दृश्य रखे गये तो उसका प्रदर्शन मध्यप्रदेश की धरती पर नहीं होगा।