
ग्रामीण क्षेत्रों में 15 हजार 370 नल-जल योजनाओं और पांच लाख 36 हजार 676 हैंडपंप हैं। इनमें से दो हजार 674 नल-जल योजनाएं और 43 हजार 419 हैंडपंप वर्तमान में बंद हैं। इनमें सैकड़ों ऐसी योजनाएं और हैंडपंप हैं, जो पिछले चार साल से चालू नहीं हैं। इन्हें सुधारने का काम सीधे तौर पर ग्राम पंचायतों को भी सौंपा गया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसलिए अब कलेक्टर को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। इसमें जिला पंचायत के सीईओ और जिले के कार्यपालन यंत्री को रखा है।
कमेटी की नियमित रूप से बैठकें होंगी और कमेटी ही बंद योजना या हैंडपंप चालू करने में आने वाली परेशानी का निदान करने के साथ क्षेत्र में पानी की व्यवस्था करेगी। इसके लिए 81 करोड़ रुपए जिलों को दिए गए हैं।
पंचायतों के अधिकार बढ़ाए
विभाग ने ग्राम पंचायतों के अकिार भी बढ़ा दिए हैं। अब वे पांच लाख तक के काम कर सकेंगे। इससे पहले उन्हें दो लाख तक के काम करने का अकिार था। हालांकि कोई भी पंचायत नई योजना शुरू नहीं कर सकेगी। ऐसे काम विभाग खुद करेगा। वहीं 10 लाख से अधिक लागत के कामों में प्रस्ताव भेजकर विभाग से प्रशासकीय स्वीकृति लेनी पड़ेगी।
PS-ENC ने शुरू किए दौरे
विधानसभा चुनाव के पहले प्रदेश में पानी की समस्या को देखते हुए बंद नल-जल योजनाओं और हैंडपंपों को सुारने के प्रयास तेजी से किए जा रहे हैं। विभाग के प्रमुख सचिव और प्रमुख अभियंता चंबल संभाग का दौरा कर चुके हैं। वहीं उज्जैन संभाग के दो जिलों में बैठकें हो चुकी हैं। दोनों अधिकारी संभाग स्तर पर कलेक्टरों और सीईओ जिला पंचायत की बैठक ले रहे हैं और उन्हें अप्रैल से पहले पानी की समस्या हल करने को कह रहे हैं।
कलेक्टरों के लिए आसान
पीएचई के अकिारी कहते हैं कि बंद नल-जल योजनाएं और हैंडपंप शुरू कराना कलेक्टरों के लिए आसान है, क्योंकि मौके पर कई तरह की समस्याएं होती हैं, जिन्हें हल कराने के लिए कलेक्टर के पास जाना पड़ता है। इसी कारण रिपेयरिंग काम में देरी होती है। अब कमेटी के अध्यक्ष कलेक्टर हैं तो समस्याओं का समाान मौके पर ही हो जाएगा।
प्राथमिकता पर काम
हर हालत में अप्रैल तक सभी बंद नल-जल योजनाएं शुरू करा देंगे। कलेक्टरों की बैठक लेकर उनसे प्राथमिकता के आधार पर काम कराने को कह रहे हैं। रिपेयरिंग पर आने वाले खर्च के लिए राशि की व्यवस्था कर दी गई है।
केके सोनगरिया, प्रमुख अभियंता, पीएचई