विकास पाठक/वाराणसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को एक बड़ा संदेश दिया है। भाजपा एवं आरएसएस के तमाम अनुषांगिक संगठनों के दिग्गजों को उन्होंने एक बार फिर याद दिलाया है कि 'कोई अपने को संगठन से बड़ा न समझे। संगठन महत्वपूर्ण है न कि व्यक्ति। किसी को भ्रम नहीं पालना चाहिए कि संगठन उसकी बदौलत चल रहा है।' उन्होंने कहा कि पद स्थाई नहीं होता है, यह काम की जरूरत के मुताबिक बदलता रहता है। भागवत के इन शब्दों के वर्तमान संदर्भ में कई मायने हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो भाजपा की राजनीति की दिशा बदल सकते हैं।
वाराणसी के बड़ा लालपुर स्थित ट्रेड फैसिलिटी सेंटर में संघ शिविर के पांचवें दिन बीजेपी नेताओं ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ समन्वय बैठक में भाग लिया। इसमें बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव ओम माथुर, प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र पांडेय, संगठन मंत्री सुनील बंसल, क्षेत्रीय अध्यक्ष लक्ष्मण आचार्य, क्षेत्रीय संगठन मंत्री रत्नाकर के अलावा 44 प्रकल्पों के भी पदाधिकारी शामिल हुए।
करीब आठ घंटे तक चली बैठक में मोहन भागवत ने साफ तौर पर कहा कि संगठन में किसी व्यक्ति विशेष का स्थान नहीं होता है। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों के समर्पण से संघ चलता रहा है और आगे भी चलेगा। भागवत ने नसीहत देते हुए कहा कि मान-अपमान, सुख-दुख, यश-अपयश से परे रहते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करना ही सभी का प्रमुख कर्तव्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी गांठ बांध लें कि सबका मंत्र, मन-बुद्धि और विचार के साथ संगठन समान है।
मोहन भागवत ने विभिन्न प्रकल्पों के पदाधिकारियों से एक देश-एक राष्ट्र की अवधारणा पर काम करते हुए समाज में मजबूत पैठ बनाने के मिशन में जुट जाने को कहा। उन्होंने कहा, 'संघ की जड़ें पूरे देश में फैल चुकी हैं। अब बस जरूरत है शाखाओं के जरिए घर-घर पहुंचने की। यह काम सभी को निःस्वार्थ भाव से करना होगा।' उन्होंने नवागतों से कहा कि संघ में आने से ज्यादा महत्वपूर्ण संघ को अपनी जीवनशैली में आत्मसात करना है।