नई दिल्ली। कुछ दिनों पहले जम्मू कश्मीर सरकार ने भारतीय सेना की एक टुकड़ी के खिलाफ हत्या की FIR दर्ज की थी। आज उसी भारत की सेना ने कश्मीर के एक बीमार बच्चे को बचाने के लिए अपना एक हेलीकॉप्टर और 2 पायलटों की जान की बाजी लगा दी। 'पत्थर के बदले प्यार' के हजारों उदाहरण मिलते हैं परंतु भाजपा से गठबंधन करके सत्ता में बैठी पीडीपी सरकार लगातार भारत की सेना को हतोत्साहित करने की कोशिश कर रही है। मामला बांदीपोरा जिले के गुरेज का है। बुधवार को 9 साल के एक बच्चे की तबियत अचानक ज्यादा खराब हो गई। एयरफोर्स सेंटर श्रीनगर को देर रात इसका मैसेज मिला और उसके दो पायलट खराब मौसम के बावजूद सुबह हेलिकॉप्टर लेकर बांदीपोरा रवाना हो गए। बर्फबारी के बीच उन्होंने बच्चे को श्रीनगर पहुंचाया। तब कहीं जाकर उसका इलाज मिल सका।
परिवार ने एयरफोर्स से लगाई थी गुहार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांदीपोरा जिले के गुरेज इलाके में बुधवार रात तौफीक नाम के बच्चे की अचानक तबीयत खराब हो गई थी। उसे एपेंडिक्स की वजह से पेट में बहुत दर्द हो रहा था। परिवार वालों ने पहले तो उसे बांदीपोरा के हॉस्पिटल में भर्ती किया, लेकिन आराम नहीं हुआ तो डॉक्टरों ने उसे जल्द से जल्द श्रीनगर ले जाने की सलाह दी। रात का वक्त और खराब मौसम की वजह से परिवार का श्रीनगर पहुंचना मुमकिन नहीं था। ऐसे में उन्होंने इंडियन एयरफोर्स से गुहार लगाई थी।
मौसम खराब था फिर भी भरी उड़ान
श्रीनगर एयरफोर्स स्टेशन को रात में मैसेज मिला। इसके बाद एक हेलिकॉप्टर बांदीपोरा भेजने के लिए तैयार किया गया। सुबह हेलिकॉप्टर रवाना हुआ, लेकिन खराब मौसम की वजह से उसे बांदीपोरा में लैंड करने की इजाजत नहीं मिली और उसे वापस भेज दिया गया। कुछ देर में ही वेदर डिपार्टमेंट ने मौसम में कुछ सुधार होने की जानकारी दी। यह मैसेज मिलते ही पायलट्स ने हेलिकॉप्टर फिर बांदीपोरा की तरफ मोड़ दिया।
बादल-बर्फबारी के बीच पहुंचे श्रीनगर
एयरफोर्स के स्क्वाड्रन लीडर विनीत सिंह सिकरवार और को-पायलट लक्ष्य मित्तल ने तौफीक और उनके पिता को लेकर बांदीपोरा से उड़ान भरी और आसमान में छाए बादल और हल्की बर्फबारी के बीच हेलिकॉप्टर की श्रीनगर में कामयाब लैंडिंग कराई। बच्चे को श्रीनगर में भर्ती कर दिया गया है, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।
पत्थरबाज मदद क्यों नहीं करते
मामला बाढ़ का हो या बीमारी का। कश्मीर के नागरिकों की मदद ना तो कश्मीर की राज्य सरकार करती है और ना ही पत्थरबाज। हमेशा भारतीय सेना ही मदद करती है। एक बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए एयर ऐंबुलेंस भारत के उन राज्यों में भी नहीं मिलती जहां से भारत सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स दिया जाता है।