नई दिल्ली। राजस्थान की दो लोकसभा सीटों और एक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। अजमेर लोकसभा सीट पर बीजेपी के राम स्वरूप लांबा कांग्रेस के रघु शर्मा से हार गए। वहीं अलवर लोकसभा सीट पर बीजेपी के जसवंत सिंह यादव भी कांग्रेस के करण सिंह यादव से हार गए। मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर भी बीजेपी को हार मिली है। अब समीक्षाओं का दौर शुरू हो गया है। एक निष्कर्ष यह भी निकल रहा है कि यह नतीजे पद्मावत विवाद के कारण आए हैं। आनंदपाल एनकाउंटर के कारण राजपूत समाज बीजेपी से पहले ही नाराज था, पद्मावत विवाद को हवा देने के कारण गैर राजपूत भी भाजपा से नाराज हो गए। कई समाज संगठनों का आंकलन था कि भाजपा केवल राजपूतों को तवज्जो दे रही है।
कथित बीजेपी समर्थकों ने किया 'पद्मावत' विरोध, फायदा कांग्रेस को मिला
राजस्थान उपचुनाव को करीब से देखने वाले जानकार मानते हैं कि इस बार का चुनाव पूरी तरीके से जातीय समीकरण के आधार पर लड़ा गया. इसमें कांग्रेस बाजी मारने में कामयाब रही. राजपूत समाज ने अस्मिता के नाम पर फिल्म 'पद्मावत' का विरोध शुरू किया था. इसी बहाने पूरा राजपूत समाज उपचुनाव से पहले राजनीतिक रूप से एकजुट हो गए. कथित रूप से कहा गया कि फिल्म पद्मावत का विरोध करने वाले बीजेपी समर्थक थे. पूरे चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस जोर शोर से कहती रही कि बीजेपी के केंद्र में होने के बाद भी सेंसर बोर्ड ने फिल्म पद्मावत को पास कर दिया. साथ ही कांग्रेस प्रचार के दौरान कहती दिखी की बीजेपी गैर राजपूतों को तवज्जो नहीं दे रही है.
एकजुट हुए गैरी राजपूत और कांग्रेस की हुई बल्ले-बल्ले
अजमेर लोकसभा सीट पर पर रावण राजपूत बहुलता में हैं और उनके वोटों से ही हार-जीत तय होता है. यहां बीजेपी उम्मीदवार राम स्वरूप लांबा पूर्व मंत्री सांवरलाल जाट के बेटे हैं. सांवरलाल जाट का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. उनके निधन से खाली हुई सीट पर ही उपचुनाव कराया गया. सांवरलाल जाट इलाके के कद्दावर नेता थे. उन्होंने अजमेर में बड़ी आबादी वाले जाट समुदाय को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई थी. वहीं अजमेर में कांग्रेस उम्मीदवार रघु शर्मा जाति से ब्राह्मण हैं. बीजेपी के जाट-सिंधी और व्यापारियों के गठजोड़ के जवाब में कांग्रेस ने ब्राह्मण, गुर्जर, मुस्लिम और दलितों का गठबंधन बनाया. सचिन पायलट की वजह से इस गठबंधन में गुर्जरों को खास महत्व दिया गया. ऐसे में इस सीट पर दोनों पार्टियों के बीच वोटों की रस्साकरशी देखने को मिली, हालांकि गैर राजपूत जब एकजुट हो गए तो इसका सीधा फायदा कांग्रेस को हुआ है. इतना ही नहीं, बीजेपी से नाराज राजपूत समाज का एक बड़ा तबका भी कांग्रेस को समर्थन दिया.
आनंदपाल के एनकाउंटर से वसुंधरा से नाराज थी जनता
यूं तो आनंदपाल पाल सिंह गैंगस्टर था, लेकिन राजपूत समाज के लोगों के बीच वह काफी लोकप्रिय था. राजपूत समाज के लोग मानते हैं कि आनंदपाल ने उन्हें जाट माफिया से मुक्ति दिलाई थी. जून 2017 में आनंदपाल का एनकाउंटर होने से राजपूत समाज में भारी रोष है. बीजेपी उपचुनाव प्रचार के दौरान राजपूत समाज के लोगों को समझाने में नाकाम रही की आनंदपाल गैंगस्टर था और उनके समाज के लिए घातक था.
इस उपचुनाव पर गौर करें तो फिल्म पद्मावत पर बैन लगाने में बीजेपी और वसुंधरा सरकार की नाकामी और गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर से नाराज राजपूतों को बीजेपी मनाने में नाकामयाब रही. बताया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव को देखते हुए भी वसुंधरा सरकार राजपूतों को ध्यान में रखकर बड़े फैसले ले सकती है.