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शनिवार को पाकिस्तान के लाहौर लिटररी फेस्टिवल में उन्होंने कहा, “पाकिस्तान आतंकवादियों का नहीं, बल्कि संतों का देश है, लेकिन पश्चिमी देश हमेशा से ही उसे गलत तरीके से दिखाते आए हैं।” बता दें कि हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को फाइनेंशियल टेरर वॉच लिस्ट में डालने प्रस्ताव रखा है, जिस पर उसे 3 महीने की मोहलत दी गई है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, लाहौर लिटररी फेस्टिवल में कई जानेमाने लेखक, विद्वान और विदेशी मेहमान शामिल हुए हैं। अब्बासी शुक्रवार को इस फेस्टिवल में पहुंचे थे।
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की असली पहचान उसकी सांस्कृतिक धरोहर हैं, संतों का ज्ञान है ना कि वो सब जो पश्चिमी मीडिया दिखाता है। लाहौर लिटररी फेस्टिवल समाज में सहिष्णुता बढ़ाने में मदद करेगा और बाहर विदेश से आए मेहमान यहां से अपने साथ प्यार का संदेश ले जाएंगे। अब्बासी ने उम्मीद जताई कि विदेशी यहां से जाने के बाद दुनिया को पाकिस्तान की अच्छी छवि बताएंगे। इवेंट के दौरान उन्होंने पाकिस्तान की जानीमानी सोशल वर्कर अस्मा जहांगीर को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि अस्मा हमेशा लोगों के हक और लोकतंत्र की मजबूत के लिए लड़ीं।
आतंकी समर्थक देशों में शामिल हो सकता है PAK
अमेरिका ने पिछले दिनों आतंकियों के खिलाफ सही कदम ना उठाने की वजह से पाकिस्तान को फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की लिस्ट में डालने का प्रस्ताव रखा था। भारत, फ्रांस और ब्रिटेन ने अमेरिका के इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार को चीन, सउदी अरब और तुर्की ने पाकिस्तान को इस लिस्ट में डालने का विरोध किया था, लेकिन शुक्रवार को इन देशों ने भी अपना समर्थन वापस ले लिया।
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल करने का फैसला किया जा चुका हैं। हालांकि, अब्बासी ने कहा है कि उन्हें इससे बचने के लिए 3 महीने की मोहलत दी गई है। बता दें कि FATF की लिस्ट में अभी इथोपिया, श्रीलंका, सर्बिया, सीरिया, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, ट्यूनिशिया, वनुआतु, यमन और इराक जैसे देश शामिल हैं।
कैसे काम करता है FATF?
FATF उन देशों की एक्टिविटीज पर नजर रखता है जो आतंकियों को किसी भी तरह की मदद मुहैया कराते हैं। ये फोर्स लिस्ट में शामिल देशों के आर्थिक संस्थानों पर भी कड़ी नजर रखती है, जिससे पाकिस्तान को बिजनेस में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।