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संतोष ने बताया- "मैंने गीतांजलि ग्रुप में 2009 से 2013 काम किया। इस दौरान कई संदिग्ध गतिविधि देखीं। श्रीवास्तव ने आरोप लगाया- "वह विदेशों में बिना तराशे हीरे खरीदता था। फिर इन्हें भारत लाता था। यहां तराश कर वापस विदेश ले जाकर बेच देता था। यह पूरा काम वह फेक कंपनियों के जरिए करता था। बिना तराशा हीरा खरीदने के लिए लोन लेता था। फिर बेचने के लिए भी ऐसा करता था। यह काम वह टैग चेंज कर, फर्जी बिल बनाकर और लोन लेकर करता था। इस दौरान वह हीरे की कीमत को 10 गुना तक बढ़ा देता था।
बनते थे फर्जी बिल
उन्होंने बताया कि "कंपनी का जोर फ्रेंचाइजी बिजनेस पर था। इसमें 10 रुपए के सामान की वेल्यू 500 रुपए दिखाकर बिल जनरेट किए जाते थे। करोड़ों की राशि फर्मों से ली जाती थी। इसको लेकर मैंने फाइनेंस मिनिस्ट्री लेकर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी तक में शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। 2013 में मैंने इसकी शिकायत पीएमओ में की। केस आरओसी (रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी) में भेज दिया गया, लेकिन वहां से भी निराशा ही हाथ लगी। कुछ समय बाद उनके साथी हरिप्रसाद को मेल आया कि शिकायत बंद कर दी गई।
मुझे कई केस में फंसाने की कोशिश की
श्रीवास्तव ने बताया कि मुझ पर 2013 से ही प्रेशर बनाया गया, कई केसों में फंसाने की कोशिश की गई चौकसी ने इकोनॉमिक ऑफेंस विंग में शिकायत की। 2014 में आई रिपोर्ट में बताया गया कि शिकायत झूठी है। वहीं, रिपोर्ट में ईओडब्लू ने गीतांजलि कंपनी की अकाउंटिंग संदिग्ध पाई थी। मुख्य दोषी मेहुल चौकसी है। उन्होंने घोटाले की नींव रखी। बाद में नीरव ने ज्वाइन किया।"
क्या है पूरा मामला?
पंजाब नेशनल बैंक ने पिछले दिनों सेबी और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को 11,356 करोड़ रुपए के घोटाले की जानकारी दी थी। पीएनबी की मुंबई की ब्रेडी हाउस ब्रांच में यह घोटाला हुआ। शुरुआत 2011 से हुई। 7 साल में हजारों करोड़ की रकम फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स (LoUs) के जरिए विदेशी अकाउंट्स में ट्रांसफर की गई।