नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को पीएम नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा में सरकारी खर्च पर उनके साथ जाने वाले लोगों की सूची देने को कहा है। पीएमओ सुरक्षा कारणों का हवाला देकर लगातार ऐसे लोगों की सूची देने से इनकार करता रहा है। लेकिन, अब मुख्य सूचना आयुक्त आरके माथुर ने सूचना का अधिकार कानून (RTI) के तहत दाखिल अर्जी पर ऐसे लोगों की सूची सौंपने को कहा है जो वर्ष 2014-2017 के बीच प्रधानमंत्री की आधिकारिक यात्रा पर उनके साथ गए थे। उन्होंने सरकार की आपत्तियों को खारिज कर दिया है।
नीरज शर्मा ने आरटीआई कानून के तहत पिछले साल जुलाई में अर्जी दाखिल कर ऐसे लोगों की सूची मांगी थी, लेकिन उन्हें लिस्ट नहीं सौंपी गई थी। नीरज ने सरकारी खर्च पर पीएम मोदी के साथ जाने वाले निजी कंपनियों के सीईओ, मालिक, पार्टनर और अन्य अधिकारियों की सूचना मांगी थी। उन्होंने पीएम के साथ जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने वाले लोगों के चयन के तौर-तरीकों के बारे में भी जानकारी मांगी थी।
नीरज ने जुलाई, 2017 में आरटीआई कानून के तहत आवेदन कर जानकारी मांगी थी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने 1 सितंबर, 2017 को जवाब दिया था। इसमें कहा गया था, ‘प्रधानमंत्री के देश और विदेश की यात्राओं के बारे में पीएमओ की वेबसाइट पर जानकारी उपलब्ध है। उनके साथ जाने वाले प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के बारे में सुरक्षा कारणों के चलते जानकारी नहीं दी जा सकती है। आरटीआई कानून, 2005 के तहत भी ऐसी सूचना न देने की व्यवस्था है।’ सदस्यों के चयन के तौर-तरीकों पर पीएमओ ने कुछ नहीं कहा था।
प्रधानमंत्री कार्यालय के रवैये से नाखुश नीरज शर्मा ने 29 सितंबर, 2017 को दूसरी बार आवेदन किया था। इसमें उन्होंने पीएमओ द्वारा सूचना देने में जानबूझ कर देरी करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि यदि पीएमओ के पास ऐसी जानकारी नहीं है तो उसे आरटीआई आवेदन को लंबित नहीं रखना चाहिए था। साथ ही नीरज ने सीआईसी को बताया था कि वेबसाइट पर भी इसके बारे में किसी तरह की जानकारी उपलब्ध नहीं थी। मुख्य सूचना आयुक्त आरके. माथुर ने नीरज शर्मा की अर्जी स्वीकार करते हुए पीएमओ को सूचना मुहैया कराने का आदेश दिया है। पीएमओ के रवैये से नाराज नीरज शर्मा ने कहा कि डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार मोदी सरकार से ज्यादा पारदर्शी थी।