
यह विधायक के विचार या पार्टी की नीति
अब सवाल उठ रहे हैं कि उक्त विचार विधायके के निजी हैं या फिर आरएसएस और भाजपा के लोग ऐसा ही मानते हैं। बता दें कि भाजपा में इस तरह के विवादित बयान पहले छोटे स्तर पर दिए जाते हैं, फिर जनता का रुझान देखा जाता है। यदि तीव्र विरोध ना हो और जनता का रुझान बन रहा हो तो पार्टी के बड़े नेता भी उसी स्टेंड पर आ जाते हैं। तीव्र विरोध की स्थिति में इस तरह के बयानों को व्यक्ति के निजी बयान बताकर पल्ला झाड़ लिया जाता है।
क्या होती है संघ की शाखा
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना 27 नवम्बर 1925 को नागपुर में की गई थी। प्रशासनिक कार्रवाईयों से बचने के लिए 'शाखा' का आयोजन शुरू हुआ। इसके तहत किसी खेल में मैदान में आरएसएस के नेता जाते हैं और वहां लोगों को खेल एवं व्यायाम कराया जाता है। इसके बाद जब लोग नियमित आने लगते हैं तो उन्हे दूसरे कार्यक्रमों में शामिल कर लिया जाता है। कहते हैं कि खेल और व्यायाम के बहाने युवाओं की अच्छी टोलियां संघ के संपर्क में आ जातीं हैं। धीरे धीरे उन्हे अपनी विचारधारा से जोड़ लिया जाता है। मैदान में होने वाली प्रक्रिया को ही संघ की शाखा कहा जाता है। इसका अर्थ ब्रांच नहीं होता।