SDM MUKUL GUPTA कर्मचारी की मौत के बाद फंस सकते हैं | BHOPAL MP NEWS

भोपाल। राजधानी भोपाल में गोविन्दपुरा एसडीएम मुकुल गुप्ता के कोर्टरूम में रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किए गए रीडर राजेन्द्र सिंह की गिरफ्तारी के बाद से ही लोकायुक्त की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे थे। सड़क दुर्घटना में मौत के बाद अब यह मामला और ज्यादा सुर्ख हो गया है। संदेह की सुई एसडीएम गुप्ता की तरह घूम रही है। राजेन्द्र सिंह की बेटियों ने लोकायुक्त वाली घटना की जांच की मांग की है। कलेक्टर सुदाम खाड़े ने भी जांच के आदेश दे दिए हैं। इस मामले में संदेह इसलिए भी किया जा सकता है, क्योंकि लोकायुक्त की कार्रवाई सामान्यत: मीडिया के सामने होती है या गिरफ्तारी दर्ज करने से पहले मीडिया को बुला लिया जाता है परंतु इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। लोकायुक्त ने गिरफ्त में आए राजेन्द्र सिंह का फोटो जारी नहीं किया। 

लोकायुक्त पुलिस का दावा

लोकायुक्त पुलिस ने दावा किया था कि उसने गोविंदपुरा एसडीएम मुकुल गुप्ता के कोर्टरूम में उनके रीडर राजेन्द्र राजपूत को बालमुकुंद साहू से 3 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। इस घटना के प्रकाश में आते ही कई लोगों ने दावा किया कि राजेन्द्र सिंह राजपूत ऐसा कर ही नहीं सकते। वो रिश्वतखोर नहीं थे। 

फिर सड़क हादसे में मौत

इस घटना के बाद जब राजेन्द्र सिंह एसडीएम मुकुल गुप्ता से मिलने के लिए घर से निकले थे तब एक सड़क हादसे का शिकार हो गए जिसमें उनकी मौत हो गई। श्री राजेन्द्र सिंह ने जीवित रहते अपने सभी अंग दान करने का वचनपत्र भरा था। जैसे ही सबको इसके बारे में पता चला मामला और अधिक गर्मा गया। लोग एसडीएम गुप्ता को निशाने पर ले रहे हैं। 

बेटियों ने की जांच की मांग

रिश्वत मामले में फंसे क्लर्क और मृत्यु उपरांत अंगदान करने वाले राजेन्द्र का कहना था कि उन्हें रिश्वतखोरी के मामले में झूठा फंसाया गया है। तभी से वे काफी परेशान चल रहे थे। उन पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए उनकी बेटियों ने उन्हें फंसाने की बात कही है और लोकायुक्त की कार्रवाई पर सवाल उठाया है। इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए भोपाल कलेक्टर सुदाम खाड़े ने लोकायुक्त द्वारा की गई कार्रवाई की जांच करने के आदेश दिये हैं। 

एक्सीडेंट हुआ या करवाया गया

इस मामले में यह पता लगाया जाना भी जरूरी है कि राजेन्द्र सिंह का एक्सीडेंट एक सामान्य घटना थी या फिर एक्सीडेंट प्लान किया गया था। आरोपी वाहन चालक और वाहन मालिक का कहीं कोई कनेक्शन तो नहीं है, क्योंकि राजेन्द्र सिंह ने खुद को साजिश का शिकार बताया था और एक्सीडेंट उस समय हुआ जब वो एसडीएम से मिलने जा रहे थे अत: किसी भी संदेह का निराकरण अनिवार्य है। 

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