
आपको बता दें कि यूनियन बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने संभाजी पाटील को 2009 में लगभग 20-20 करोड़ का अलग-अलग लोन दिया था। अगले दो साल तक उन्होंने EMI भरा। 2011 के बाद से उन्होंने बैंक की ईएमआई भरनी बंद कर दी। जिसकी वजह से उनका लोन एनपीए बन गया।
पाटील ने बैंक से कर्जा लेने के लिए अपने दादाजी की जमीन को बिना बताए गिरवी रखी थी। यह जानकारी जैसे ही बैंक को दी गई, बैंक कर्मचारियों ने पाटील के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया। मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने उनके खिलाफ तीन हजार 27 पन्नों का आरोप पत्र लातूर कोर्ट में दाखिल किया।
महाराष्ट्र बैंक ने 20.9 करोड़ की राशि लोन अनुशंसित की थी। इसका ब्याज 21.51 करोड़ आकलन किया गया। बैंक ने ब्याज की पूरी राशि माफ कर दी। मूलधन में से आठ करोड़ राशि माफ कर दी गई। यानि देनदारी मात्र 12.9 करोड़ की रही।
यूनियन बैंक ने 20.51 करोड़ की राशि लोन अनुशंसित की थी। इसका ब्याज 16.40 करोड़ आकलन किया गया। बैंक ने ब्याज की पूरी राशि माफ कर दी। मूलधन में से आठ करोड़ राशि माफ कर दी गई। यानि देनदारी मात्र 12.51 करोड़ की रही।
कुल 76.90 करोड़ की राशि संभाजी को देनी थी। इसमें से 25.50 करोड़ सेटलमेंट किया गया। बाकी की राशि यानि 51 करोड़ बैंक ने माफी दे दी।