प्राची नारायण मिश्रा/सिहोरा। एक ओर नदियों को संरक्षित करने के लिए मुहिम चलाई जा रही है वही दूसरी तरफ कुछ लोग नदियों पर कब्जा कर पूरी की पूरी नदी ही हड़प कर रहे हैं। हिरन नदी की सहायक नदियों में फसलें बो कर अबैध कब्जा जमा लिया गया है। मझौली और सिहोरा के दो बड़े जलाशय से होकर नदी निकलती हैं जो आकर हिरन नदी में मिल जाती हैं लेकिन विगत एक दो वर्ष से कम वर्षा के कारण ये नदियाँ सूख चुकी हैं जिसका फायदा कुछ लोगों कब्जा कर लेना शुरू कर दिया है। संबंधित पंचायत और अधिकारी इस सब से अनजान बनने की कोशिश कर रहे हैं। जिसकी वजह से ये छोटे छोटे नदियां और नाले विलुप्त होने की कगार पर आ चुके हैं। ज्ञात हो कि इन नदियों में साल भर पानी रहता था और इनमे खुद के जल स्त्रोत थे लेकिन पंचायतों एवम स्थानीय अधिकारियों के भ्रष्ट आचरण के कारण ये समतल हो चुके हैं जबकि इनका गहरीकरण करके जीणोद्धार किया जा सकता है।
मझौली एवम सिहोरा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम बरगी के घुटेही जलाशय और गोसलपुर के बरनू जलाशय से होकर हिरन की सहायक नदियां निकली थी जो इस समय अबैध कब्जे की चपेट पर है। ये दोनों ही नदियों से आसपास के करीब दर्जन भर से अधिक गांवो की कृषि को सिंचित किया जाता था लेकिन अब स्थिति यह हो गयी है कि इन नदियों की साफ सफाई के बजाय इन पर भू माफिया द्वारा कब्जा करा लिया गया है। और गेहूं-सरसो की फसल बो दी गई है। जिससे ये सहायक नदियां अपने वास्तविक रूप को खोकर खेत मे बदलने लगी हैं।
मझौली के ग्राम बरगी के पास घुटेही जलाशय है जिससे दुगानी नदी निकलती है और इस नदी में खुद के जल स्त्रोत्र थे। जिसके कारण यदि जलाशय में पानी नही भी रहता था तो यह नदी हमेशा पानी उपलब्ध कराती थी। जिससे गर्मी के दिनों में मवेशियों और जानवरों को पानी के लिए भटकना नही पड़ता था लेकिन इस वर्ष से गांव के ही एक व्यक्ति ने नदी में गेहूं और सरसों की फसल बो ली है।
जबकि बरनू जलाशय से भी निकलने वाली नदी आल्गोडा के पास आकर हिरन नदी में समाहित होती है लेकिन इस नदी में भी फसल बोना शुरू हो गया है। जिसके चलते यह सहायक नदियां विलुप्त होने की कगार पर आ चुकीं है। जहां एक ओर नदी के संरक्षण के लिए गांव गांव पानी बचाओ का अभियान चलाया जा रहा है वही इन नदियों को मिटा कर कब्जा किया जा रहा है लेकिन जिम्मेदार पंचायत और विभागीय अधिकारी इन सब को देख कर भी अनदेखा किये हुए हैं। जिससे पानी के प्राकृतिक स्त्रोत्र खत्म हो रहे हैं।
जीर्णोद्धार की जरूरत
इन नदियों में कभी साल भर पानी रहता था लेकिन मिट्टी से भर जाने के बाद ये नदियां समतल हो गई हैं। जिसके बारे में गांव के ही लोगों ने बताया कि इनकी पहले करीब 7 से 8 फ़ीट तक गहराई थी और इनमें प्राकृतिक जल स्त्रोत्र थे जिससे इनमे हमेशा पानी रहता था लेकिन ये अब मिट्टी से भर चुकी है यदि यदि नदियों को पुनः गहरी करण किया जाए तो यह नदियां फिर से जीवित हो जाएंगी जिनकी साफ सफाई की आवश्यकता है। लेकिन ग्राम पंचायत और विभाग की अनदेखी के कारण ये जल स्त्रोत्र भी खत्म हो रहे ।
इनका कहना
नदियों में फसल न बोने की सूचना पहले ही जारी की गई थी यदि कोई फसल बोया हुआ है तो जांच कर धारा 148 की कार्यवाही की जाएगी।
संदीप जयसवाल, तहसीलदार मझौली