जयपुर। करीब आठ माह बाद होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा सोशल इंजीनियरिंग में जुट गई है। चुनाव में महत्व रखने वाली प्रमुख जातियों के नेताओं को सत्ता और संगठन में महत्व देने की रणनीति बनाई गई है। जातीय समीकरण साधने के लिहाज से राज्य मंत्रिपरिषद और पार्टी संगठन में फेरबदल की तैयारी की जा रही है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात कर शुक्रवार सुबह जयपुर पहुंची मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने निकटस्थ नेताओं को शीघ्र फेरबदल के संकेत दिए हैं। इस फेरबदल में जातिय समीकरण साधने के लिहाज से दो उप मुख्यमंत्री बनाने के साथ ही वर्तमान मंत्रिपरिषद के दो से तीन मंत्रियों की छुट्टी कर उनके स्थान पर नए लोगों को मंत्री बनाया जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार वसुंधरा राजे की योजना थी कि शुक्रवार को मंत्रियों से इस्तीफे लेकर शनिवार अथवा रविवार को मंत्रिपरिषद में फेरबदल कर दिया जाए। लेकिन, दो उप मुख्यमंत्रियों और मंत्रिपरिषद में शामिल किए जाने वाले नामों को लेकर आरएसएस के स्थानीय पदाधिकारियों के साथ बातचीत पूरी नहीं होने के कारण इस्तीफे का निर्णय टाल दिया गया। अब अगले कुछ दिनों में मंत्रिपरिषद में फेरबदल होगा। इसके साथ ही कुछ राजनीतिक नियुक्तियां भी की जाएंगी।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर पार्टी कार्यालय पहुंचे मंत्रियों के साथ भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वी. सतीश, प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी और प्रदेश संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर ने बैठक की। इसमें मंत्रियों से संगठन के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय रखने और अपने प्रभार वाले जिलों का अधिक से अधिक दौरा करने के लिए कहा गया। जिलों में दौरे पर जाते समय पार्टी के जिला अध्यक्ष को सूचना देने के लिए भी कहा गया।
राजपूत और ब्राह्मण समाज को खुश करने की योजना
मंत्रिपरिषद के फेरबदल कर वसुंधरा राजे राजपूत और ब्राह्मण समाज को खुश करना चाहती हैं। पार्टी की ओर से कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि भाजपा के उक्त दोनों परंपरागत वोट बैंक को साधे बिना विधानसभा चुनाव लड़ने में परिणाम संतोषजनक नहीं आ सकेंगे।