भोपाल। प्रधानमंत्री आवास योजना को पलीता लगा रहे अफसरों पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस गरजे हैं। उन्होंने मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को फरमान दिया है कि जिन हितग्राहियों ने पहली किश्त की राशि हड़पी है, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई (एफआईआर) करो। इसके लिए कलेक्टरों का विशेष सहयोग लिया जाए। विकास आयुक्त बैंस के पास जिलों से जानकारी पहुंची है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बहुत से हितग्राहियों ने पहली किस्त की राशि हासिल करके दूसरे कामों में खर्च कर दी है। श्योपुर, सतना, छतरपुर, शिवपुरी, गुना और अशोकनगर जैसे जिले अधिक बदनाम हुए हैं। एसीएस ने इन जिलों के कलेक्टर और सीईओ से कहा है कि राशि का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करो।
नए साल में फिसड्डी हैं कई जिले:
वर्ष 2018-19 के लिए प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत किए जाने हैं। लेकिन 46 जिलों में अभीतक काम ही शुरू नहीं हुआ है। आवास तभी मंजूर होते हैं जबकि हितग्राही का पंजीयन हो तथा जनपद पंचायतें जियो टैगिंग का कार्य पूरा कर चुकी हों। इस कार्य में अभीतक मात्र राजगढ़, विदिशा, नरसिंहपुर, खरगोन और शहडोल ने ही काम को आगे बढ़ाया है जबकि अनूपपुर, डिंडोरी, श्योपुर, शाजापुर, शिवपुरी और अशोकनगर जिलों में एक भी पंजीयन नहीं किया गया है। 46 ऐसे जिले हैं जिनका परफारमेंस खराब है।
इसलिए नहीं मिलेगी राशि
पीएम आवास योजना के अन्तर्गत गरीबों को तभी आवास की राशि मिलेगी जबकि उसका पंजीयन हो। इसके लिए उसे आधार कार्ड देना होगा। सरकार ने 13 बिन्दुओं के निर्देश जारी किए हैं। यानि जिसके पास ट्रेक्टर, कार, पहले से आवास आदि हो, उसे घर के लिए राशि नहीं मिलेगी।
लक्ष्य पूरा न हो तो करें सरेंडर
अपर मुख्य सचिव ने सीईओ से कहा है कि जिलों द्वारा पिछले साल मई माह में पीएम आवास के लिए लक्ष्य की मांग की थी। लेकिन कई जिले योजना को आगे बढ़ाने में फिसड्डी में है। अफसरों के बस में नहीं हो तो वे लक्ष्य को सरेंडर कर सकते हैं। लेकिन लक्ष्य समर्पण करने का कारण बताना होगा।