नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर एनडीए में घमासान अब टूट में बदल गया है। गठबंधन टूट चुका है। आंधप्रदेश राज्य सरकार में बीजेपी कोटे के मंत्रियों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। बीजेपी कोटे के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री दफ्तर में जाकर अपना इस्तीफा सौंपा। अब केंद्र में टीडीपी के मंत्री इस्तीफा सौंपने जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय मंत्री अशोक गणपति राजू और वाई एस चौधरी आज लोकसभा और राज्यसभा में बयान दे सकते हैं। जिसके बाद वह अपना इस्तीफा सौंपेंगे। इसके बावजूद टीडीपी सांसद अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे।
इधर कांग्रेस ने 13 मार्च को सोनिया गांधी की ओर से बुलाई गई विपक्ष की बैठक के लिए टीडीपी को भी न्यौता भेजा है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी के शीर्ष नेता चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उनके राज्य के साथ अन्याय हुआ है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा नहीं निभाया है। जिसके चलते हमने केंद्र सरकार से अलग होने का फैसला किया है। नायूड ने ये भी कहा कि वो सत्ता के भूखे नहीं हैं।
अगला कदम NDA गठबंधन पर होगा
चंद्रबाबू नायडू ने साफ किया कि अभी उन्होंने मांग पूरी न होने पर पहले कदम के रूप में केंद्रीय मंत्रिमंडल से अलग होने का फैसला किया है। इसके बाद अगला कदम एनडीए में रहने पर उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब इस बात पर निर्णय लिया जाएगा कि एनडीए में रहना है या नहीं। नायडू ने कहा कि मैंने सरकार से बहुत विनम्रता से कहा था। पिछले चार साल से हमने बहुत मेहनत की है और सभी विकल्पों पर काम किया है। यहां तक कि आज दोपहर के भाषण में भी मैंने कुछ नहीं बोला। मैंने सिर्फ राज्य के साथ अन्याय की बात कही।
पीएम मोदी से नहीं हो सकी बात
नायडू ने ये भी कहा कि उन्होंने इस फैसले की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देनी चाही, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। हालांकि टीडीपी के दोनों मंत्रियों ने बुधवार को संसद में हुई कैबिनेट की मीटिंग में हिस्सा लिया था। इससे पहले, मंगलवार को अमरावती में टीडीपी विधायक दल की बैठक भी हुई थी, जिसमें ज्यादातर विधायकों ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ने की बात कही थी। बैठक में पार्टी के 125 विधायकों ने हिस्सा लिया था।
क्या है टीडीपी की नाराजगी
टीडीपी का कहना है कि केंद्र सरकार राज्यसभा में दिए आश्वासनों को पूरा करने में नाकाम रही है। राज्यसभा में पीएम ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का आश्वासन दिया था। पार्टी का कहना है कि बीजेपी के साथ गठबंधन इसलिए किया गया था ताकि आंध्र प्रदेश के साथ न्याय हो सके, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
पार्टी की ओर से कहा गया है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नायडू 29 बार दिल्ली गए, प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से मिले, राज्य से जुड़े मामलों पर कई बार अनुरोध किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। आंध्र प्रदेश को अवैज्ञानिक तरीके से विभाजित किया गया, जिससे आज कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
पार्टी के मुताबिक केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश के लोगों की भावनाओं को नहीं समझ रही है। चार साल से राज्य के लोग अपने साथ इंसाफ की उम्मीद लगाए बैठे थे। हाल ही में पेश हुए एनडीए सरकार के आखिरी पूर्ण बजट में भी आंध्र प्रदेश को फंड नहीं दिया गया।
केंद्र सरकार नहीं थी राजी
केंद्र सरकार भले ही आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन उसने संकेत दिए थे कि आंध्र प्रदेश के विकास के लिए आर्थिक सहायता देने के साथ ही विजयवाडा और विशाखापट्टनम के लिए मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को भी मंजूरी देने को तैयार है। टीडीपी की मांग थी कि मोदी सरकार उस वादे को पूरा करे जो आंध्र प्रदेश के विभाजन के दौरान तत्कालीन सरकार ने किया था।
सरकार आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की टीडीपी की मांग को इसलिए नहीं मांग सकती क्योंकि किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए नियमों में बदलाव करने पड़ेंगे। अगर नियमों में बदलाव करके टीडीपी की मांग को मान लिया तो बिहार, झारखंड जैसे अन्य राज्य भी इस तरह की मांग कर मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। इसलिए मोदी सरकार टीडीपी की मांग के आगे किसी भी कीमत पर झुकने को तैयार नहीं है।