
बता दें कि मध्यप्रदेश शासन ने सभी सरकारी स्कूलों में सेवाएं दे रहे अतिथि शिक्षकों की सेवाएं 28 फरवरी 2018 को समाप्त कर दीं गई हैं। शिक्षक विहिन विद्यालय तो अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहे थे। ऐसे विद्यालयों के छात्रों के वार्षिक मूल्यांकन की परवाह किए बगैर इनकों चलता कर दिया। पूरे प्रदेश में कक्षा 3 से लेकर 12 तक जिसमें 10 व 12 बोर्ड परीक्षाओं का संचालन हो रहे है शिक्षक इनमें व्यस्त हैं। ऐसे प्रधानाचार्यो द्वारा अतिथि शिक्षकों के ऊपर दबाव बनाया जा रहा है कि वो बिना मानदेय के ही अपनी सेवाएं स्कूलों मे दे।
अतिथि शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रविकांत गुप्ता ने कहा कि जब हमारी जरूरत सरकार को नही है। जब उनको पूरे जिले के छात्रो के भविष्य के बारे मे कोई चिंता नही है। उनके परीक्षा के बारे मे, पढ़ाई के बारे मे, कापी चेक करने के लिए, रिजल्ट बनाने के लिए हमारी अवश्यकता नही है तो फिर अतिथि शिक्षक विद्यालय मे क्यों कार्य करने जाए। सबको मालूम है की 28 फरवरी से अतिथि शिक्षकों का स्कूलों में कोई अधिकार नही है। तो अतिथि शिक्षकों को क्यों डराते है कि अभी विद्यालय मे नही आयोगे तो जुलाई मे आपको नियुक्ति नही देगे।