भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में नोटबंदी के बाद अब नोटमंदी शुरू हो गई है। दर्जनों एटीएम शाम ढलने से पहले ही खाली हो जाते हैं। उनकी क्षमता 56% तक घटा दी गई है। एटीएम मशीनों में 2000 के नोट नहीं डाले जा रहे, उसके बाद 200 के नोट डाले जा रहे हैं, जबकि 500 के बदले 100 के नोट डाले जा रहे हैं। इस तरह मशीन में कम मूल्य के नोट डाले जा रहे हैं। यह एक तरह की नोटमंदी है जो BANKS द्वारा योजनाबद्ध तरीके से शुरू हुई है। कुतर्क यह है कि इस तरह से लोगों को CASH LESS की तरफ TURN जा रहा है।
दरअसल, एटीएम की चार कैसेट में से एक 2000 के नोटों की थी, जिसे 200 रुपए के नोट से बदल दिया गया है। पिछले 15 दिन से चल रही इस बदलाव की प्रक्रिया के तहत ही शहर के 95% एटीएम की प्रोग्रामिंग बदली जा चुकी है। 15 दिन पहले तक एटीएम में 500-500 रुपए के नोट की दो कैसेट रिफिल हो रही थी, जिसे घटाकर एक कर दिया गया है। इसकी जगह 100-100 रुपए के नोट की कैसेट एक से बढ़ाकर दो कर दी गई है। यही कारण है कि प्रति एटीएम कैश देने की क्षमता सीधे 56% तक घट गई है।
इसलिए ATM में पैसे खत्म हो जाते हैं
1 .एक एटीएम में 4 कैसेट (पैसों की ट्रे) होती हैं। हर कैसेट में नोट के 25 पैकेट डाले जाते हैं। हर पैकेट में 100-100 नोट होते हैं। यानी हर कैसेट में नाेटों की संख्या 2500 होती है।
2. 2000 के नोट बंद करके उसकी जगह कैसेट में 200 के नोट की कैसेट लगा दी गई है। 500 के नोट की दो कैसेट थी। अब उसकी जगह एक कैसेट को 100 रुपए के नोट से रिप्लेस दिया गया है।
..और अब यह हो रहा है
एटीएम को अब 200 का नोट निकालने के लिए कैलिबरेट किया जा चुका है, लेकिन कैसेट का साइज वही है। इसलिए एक बार में 200 के 2500 नोट यानी 5 लाख रुपए रखे जा रहे हैं।
2 कैसेट अब 100-100 के नोटों की है जिनमें 5000 नोट डाले जा रहे हैं, यानी 5 लाख रुपए।
चौथे कैसेट में 500 के 2500 नोट यानी अधिकतम 7.5 लाख रुपए। यह नोट भी जरूरत का एक तिहाई यानी 2.5 लाख रुपए ही है यानी इस कैसेट में रखे जा रहे हैं 2.5 लाख रुपए।
अब 4 कैसेट में रखे जा रहे हैं कुल 12.5 लाख रुपए
रोज चाहिए 400 करोड़
राजधानी में सरकारी और निजी क्षेत्रों के करीब 1000 से अधिक एटीएम हैं। इनके जरिए रोजाना 400 करोड़ रुपए निकाले जाते हैं। न्यू मार्केट, एमपी नगर, दस नंबर, भोपाल रेलवे स्टेशन, हबीबगंज रेलवे स्टेशन और मारवाड़ी रोड जैसे व्यस्त और कारोबारी इलाकों में एटीएम से ज्यादा पैसा निकाले जाते हैं। इसलिए बैंक यहां पूर्ण क्षमता यानी 40 लाख रुपए डालते हैं। दूसरे इलाकों में यह क्षमता मांग के आधार पर 15 से 25 लाख रुपए होती है। इस हिसाब से रोजाना एटीएम में 400 करोड़ रुपए रिफिल होते थे।
सेंट्रल बैंक के जीएम अजय व्यास के मुताबिक, आरबीआई की तरफ से ऐसी कोई गाइडलाइन नहीं है। चूंकि 2000 के नोट मार्केट में मिल ही नहीं रहे और 200 के नोट आसानी से उपलब्ध हैं। ऐसे में हम 2000 की कैसेट को 200 से बदल रहे हैं। बड़े बैंक पिछले 7 दिन से यह काम कर रहे हैं। छोटे बैंक भी इस काम में लगे हैं। मप्र में 534 एटीएम में से 35 में यह बदलाव हो चुका है।