श्योपुर। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के संदर्भ में एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। सूखाग्रस्त होने के कारण कई किसानों ने अपने खेतों में इस बार फसल की बुआई ही नहीं की लेकिन बैंक ने उनके खातों से फसल बीमा का प्रीमियम काटकर बीमा कर दिया। किसानों ने भी विरोध नहीं किया बल्कि बीमा का क्लैम कर दिया। अब मामला उलझ गया है। जो फसल पैदा ही नहीं हुई उसका क्लैम कैसा लेकिन किसानों का सवाल है कि जब फसल पैदा ही नहीं हुई तो बीमा क्यों।
पत्रकार हरिओम गौड़ की रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का नियम है कि जो किसान फसल के लिए बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) लोन लेगा, उसकी फसल का अपने आप बीमा हो जाएगा। केसीसी लोन देने वाले बैंक ही केसीसी खाते से फसल बीमा प्रीमियम का पैसा काटकर बीमा कंपनी को जमा करा देंगे। इस साल श्योपुर सहित मध्य प्रदेश के कई जिले सूखाग्रस्त हैं, इसीलिए लोन लेने के बाद भी किसान बोआई नहीं कर सके, लेकिन बैंकों ने खाली खेतों में फसलें बताकर केसीसी खाते से प्रीमियम का पैसा काटकर फसल बीमा कर दिया।
अब किसान मांग रहे क्लेम
जिन किसानों के खाते से फसल बीमा का पैसा काट लिया गया है, उनमें से कई किसान अब बीमा क्लेम का दावा ठोक रहे हैं, लेकिन सर्वे करने गांव पहुंच रही टीमें तर्क दे रही हैं कि जब खेत में कोई फसल ही नहीं की तो क्लेम किस बात का दिलाएं। दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि जब फसल नहीं तो बीमा कैसे किया?
अब अफसरों और जनप्रतिनिधियों ने इस उलझन की गेंद सरकार के पाले में डाल दी है। मामले में बैंकों और बीमा कंपनी के साथ किसानों की भी गलती बताई जा रही है, क्योंकि किसानों ने लोन तो लिया, लेकिन बोआई नहीं की। वहीं, बैंकों का कहना है कि बोआई नहीं करने की जानकारी बैंक और बीमा कंपनी को देनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
मध्य प्रदेश के श्योपुर के जारेला गांव का वह खेत जहां फसल बोई ही नहीं गई और बैंकों ने केसीसीके आधार पर प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत प्रीमियम की राशि काट ली। नई दुनियामामले की जानकारी सांसद व कलेक्टर को दी है। बीमा के नाम पर किसानों से लिया गया पैसा वापस करना चाहिए।
नियम ही यह है कि किसान ने जिस फसल के लिए केसीसी लोन लिया है उस फसल का बीमा बैंक केसीसी खाते से करती है। बैंकों ने अपना काम नियमानुसार किया है।
अनिल कुमार सिंह चौहान, मैनेजर, एसबीआइ स्टेशन रोड, श्योपुर
इस मामले में बैंकों की गलती नहीं कह सकते, क्योंकि नियम ही यही है। मामला सरकार के संज्ञान में लाया गया है। उम्मीद है कि सरकार किसान हित में फैसला करेगी।
अनूप मिश्र, सांसद, श्योपुर