BHIND कलेक्ट्रेट में भर्ती घोटाला, अपात्रों को वेरिफाइड कर दिया | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। भिंड में संविदा शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े की जांच अभी चल ही रही थी कि अब पीआईबी (प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड) के जरिए भिंड कलेक्टोरेट में सहायक ग्रेड-3 की भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। दावा किया गया है कि यहां अपात्र उम्मीदवारों को वेरिफाइड कर दिया गया। ये अपात्र धड़ल्ले से नौकरी भी कर रहे हैं। इनमें कई कुछ आवेदक ऐसे हैं, जो हिंदी टाइपिंग में फेल हैं तो कुछ ऐसे हैं, जिन्होंने आवेदन की तारीख निकलने के बाद सीपीसीटी का डिप्लोमा किया है। जबकि भर्ती की शर्ताें के मुताबिक आवेदन की तारीख तक ही सीपीसीटी का डिप्लोमा मान्य था। कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी का कहना है कि सहायक ग्रेड-3 भर्ती में क्या गड़बड़ी हुई यह जानकारी में नहीं है। यदि ऐसा कुछ है तो पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। 

यहां बता दें कि वर्ष 2016 में पीआईबी के जरिए सहायक ग्रेड-3 स्टेनोग्राफर, स्टेनो टायपिस्ट, डाटा एंट्री आपरेटर, आईटी आपरेटर एवं अन्य पदों के लिए संयुक्त भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। इस परीक्षा के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 21 नवंबर 2016 थी। साथ ही भर्ती नियमों के मुताबिक सहायक ग्रेड-3 के लिए आवेदक को हायर सेकंडरी परीक्षा पास होने के साथ-साथ किसी मान्यता प्राप्त मंडल अथवा संस्था से 25 शब्द प्रति मिनट की गति से मुद्र लेखन परीक्षा उर्त्तीण होना अथवा मध्यप्रदेश व्यवसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित कंप्यूटर टाइपिंग दक्षता प्रमाण पत्र की परीक्षा 30 शब्द प्रति मिनट की गति से उर्त्तीण होना चाहिए था। बावजूद जिले में भर्ती हुए 14 सहायक ग्रेड-3 में से सात अपात्रों को नौकरी दे दी गई। परिणामस्वरूप पात्र आवेदक इस नौकरी से वंचित रह गए। 

ऐसे हुई नियमों की अनदेखी 
भिंड कलेक्टर कार्यालय ने आवेदन जमा करने की अंतिम तारीख 21 नवंबर 2016 के बाद यानी वर्ष 2017 का सीपीसीटी डिप्लोमा मान्य कर लिया। इसके अलावा हिंदी टाइपिंग में अनुत्तीर्ण आवेदकों को भी नियुक्ति दे दी। जबकि इसी तरह के आवेदक जनसंपर्क संचालनालय द्वारा निकाली गई भर्ती में चुन लिए गए थे, लेकिन अपात्र पाए जाने पर निकाल दिया गया था। नगरीय प्रशासन भोपाल ने भी 21 नवंबर 2016 के बाद सीपीसीटी डि‍प्लोमा पास करने वालों को अपात्र माना है। बावजूद इसके भिंड कलेक्टोरेट कार्यालय में अभी अपात्र नौकरी कर रहे हैं। 

दस्तावेजों के सत्यापन में की गड़बड़ी 
पीईबी ने परीक्षा करवाकर उत्तीर्ण आवेदकों की सूची भिंड कलेक्टर कार्यालय को सौंपी। नियोक्ता होने के नाते कलेक्टोरेट की स्थापना शाखा को नियुक्ति देना थी। इनके दस्तावेजों की जांच के बाद जो उम्मीदवार खरे उतरते उन्हें नियुक्ति का मौका दिया जाता लेकिन स्थापना शाखा में साठगांठ वाले उम्मीदवारों को नियुक्ति देने के लिए नियमों को अनदेखा किया गया। जबकि नगरीय प्रशासन विभाग ने सीपीसीटी डि‍प्लोमा निर्धारित तारीख तक पास न करने पर 16 उम्मीदवारों की नियुक्ति रद्द कर दी थी। इससे पहले इंदौर कलेक्टर ने छह तथा भोपाल कलेक्टर ने नौ की नियुक्ति रद्द कर दी है। 

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