
विदिशा जिले के कागपुर के रहने वाले सौदान सिंह ने संघ के विस्तारक के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। भोपाल के संभागीय संगठन मंत्री समेत अनेक पदों पर रहने वाले सौदान सिंह को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में सहसरकार्यवाह सुरेश सोनी का नजदीकी माना जाता है। सोनी भी मध्यप्रदेश से ही वास्ता रखते हैं। अपने 26 से 28 मार्च तक के तीन दिनी दौरे में सौदान सिंह ने प्रदेश पदाधिकारियों से लेकर बूथस्तर तक के कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर प्रदेश में संगठन का हाल जाना। यही नहीं उन्होंने प्रदेश पदाधिकारियों और मंत्रियों से वन टू वन बात कर सत्ता और संगठन में चल रहे अंतर्विरोध को भी टटोलने की कोशिश की।
प्रदेश में यह पहला मौका था जब दिल्ली से आए किसी नेता से मंत्री समय लेकर मिल रहे थे। भाजपा के उच्च सूत्रों की माने तो अभी छत्तीसगढ़ का प्रभार देख रहे सौदान सिंह विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में संगठन प्रभारी बनना चाहते हैं। प्रदेश संगठन में इस समय संघ से जो नेता आए हैं, उनमें से अधिकांश सौदान सिंह के समर्थक है। पार्टी हाईकमान ने उन्हें भेजकर इसी बात के संकेत दिए हैं।
आना था रामलाल को लेकिन बदल गया कार्यक्रम
पार्टी सूत्रों की मानें तो पहले राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल तीन दिन के प्रदेश दौरे पर आने वाले थे। प्रदेश संगठन के पास भी इसकी सूचना आ गई थी पर नागपुर में हुई संघ की बैठके के बाद अचानक रामलाल की जगह सौदान सिंह को भेजने का तय किया गया। राजनीतिक वीथिकाओं में इसके भी कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।
रायपुर में सौदान से मिले थे भगत और राय :
संगठन सूत्रों के मुताबिक प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत और सहसंगठन महामंत्री अतुल राय सौदान सिंह से मिलने रायपुर गए थे। दोनों नेताओं ने तीन दिनों तक रायपुर में रहकर सौदान सिंह को प्रदेश के राजनीतिक समीकरणों से अवगत कराया था।
नंदकुमार रहे दूर :
सौदान सिंह के पूरे दौरे में प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का दूर रहना भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि इसका कारण उनका 27 मार्च के दिल्ली में बेटे के आशीर्वाद समारोह की तैयारियों में व्यस्त होना बताया जा रहा है, लेकिन कुछ नेताओं का कहना है कि नंदकुमार सिंह 26 या 28 को कुछ समय के लिए भोपाल आ सकते थे पर पूरे राजनीतिक घटनाक्रम से वे जानबूझकर दूर रहे।
चुनाव प्रबंधन टीम में रहेगा दखल :
प्रदेश में लगातार तीन चुनावों में प्रमुख भूमिका निभाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे के निधन के बाद वैक्यूम क्रिएट हो गया है। इस बार चुनाव प्रबंधन की कमान कौन संभालेगा यह अभी तय नहीं है। इसके लिए टीम जरूर तय कर दी गई है पर इसे लीड कौन करेगा यह अब तक साफ नहीं हो पाया है। माना जा रहा है कि सौदान सिंह इस टीम में मुख्य रणनीतिकार की हैसियत से दखल दे सकते हैं।